पीएनबी ने दिसंबर तिमाही में चौंकाते हुए शानदार 246.51 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। हालांकि इसके बावजूद बैंक निवेशकों का भरोसा हासिल करने में विफल रहा है।
नई दिल्ली । पिछले साल की शुरुआत में भारतीय बैंकिंग सेक्टर को सबसे बड़ा झटका लगा। 29 जनवरी 2018 को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और जेम्स-ज्वैलरी के क्षेत्र में काम करने वाली तीन कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले की जानकारी दी, जिसकी धमक पूरे बैंकिंग सेक्टर में महसूस की गई।
मई तक आते-आते घोटाले की अनुमानित रकम करीब 14,000 करोड़ रुपये तक जा पहुंची, जिसका असर बैंक के खाते पर भी दिखा और मार्च तिमाही में पीएनबी को 13,416.91 करोड़ रुपये का अभूतपूर्व घाटा हुआ। इसके बाद की दो तिमाहियों में बैंक का घाटा क्रमश: 940 करोड़ रुपये और 4,532.35 करोड़ रुपये रहा।
घोटाले का सबसे बड़ा नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ा। 2018 में जनवरी की शुरुआत में पीएनबी के एक शेयर की कीमत करीब 166 रुपये थी, जो इसी महीने में 197.60 रुपये के ऊच्चतम स्तर को छूने में सफल रही।
घोटाले की खबर सामने आने के बाद पीएनबी के शेयरों की जबरदस्त पिटाई हुई और हर ट्रेडिंग सेशन में यह नया लो (निचला स्तर) बनाते हुए 58.65 रुपये के निचले स्तर पर जा पहुंचा।
निवेशकों के लिए यह सबसे बड़ा नुकसान था। समग्र तौर पर देखा जाए तो 2018 में पीएनबी के शेयरों की कीमतों में करीब 54 फीसद की गिरावट आई, जबकि इस दौरान बैंकिंग सेक्टर ने 2.30 फीसद का रिटर्न दिया और सेंसेक्स में 6 फीसद से अधिक की उछाल आई।
सुधरे हालात से चमके शेयर : दिसंबर तिमाही में पीएनबी ने चौंकाते हुए शानदार मुनाफा दिया, जिसके बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि बैंक अब घोटाले के असर से निकल चुका है।
बैंक ने एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) की स्थिति को सुधारने की दिशा में कई कदम उठाए और इसका उसे फायदा भी मिला। मार्च 2018 में बैंक का कुल एनपीए 11.24 फीसद रहा, जो दिसंबर 2018 में कम होकर 8.22 फीसद हो गया।
नतीजा, पीएनबी ने चौंकाते हुए दिसंबर तिमाही में शानदार 246.51 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। हालांकि, इसके बावजूद बैंक, निवेशकों का भरोसा हासिल करने में विफल रहा है।
साथ छोड़ रहे निवेशक : म्युचुअल फंड्स लगातार पीएनबी के शेयर को अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर रहे हैं।वहीं एफआईआई, इंश्योरेंस कंपनियां और अन्य घरेलू निवेशकों की होल्डिंग में भी कमी आई है।
दिसंबर तिमाही में जहां संस्थागत विदेशी निवेशक (एफआईआई) की होल्डिंग्स में 0.65 फीसद, तो म्युचुअल फंड्स की होल्डिंग्स में 1.41 फीसद की गिरावट आई है। वहीं इंश्योरेंस कंपनियों ने अपनी हिस्सेदारी में 2.28 फीसद की कटौती की है, जबकि अन्य घरेलू निवेशकों (डीआईआई) ने हिस्सेदारी को 0.04 फीसद कम कर दिया है।