मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा प्रदेश की सबसे मुश्किल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मशविरा दिए जाने के दो दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को कहा कि मैं वहां से लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं, जहां से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी कहेंगे। दिग्विजय ने यह भी कहा कि चुनौतीयों को स्वीकार करना मेरी आदत है।
राजनीतिक गलियारों में अफवाह चल रही है कि दिग्विजय को भाजपा के गढ़ मानी जाने वाली भोपाल या इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष इंदौर से भाजपा की मौजूद सांसद हैं, जबकि भोपाल से भाजपा नेता आलोक संजर।
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में शनिवार को संवाददाताओं से कहा था कि मैंने दिग्वियज सिंह से आग्रह किया है कि अगर वह चुनाव लड़ना चाहते हैं तो वह किसी कठिन सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ें। परोक्ष तौर पर भोपाल और इंदौर जैसी लोकसभा सीटों की बात करते हुए उन्होंने कहा था कि प्रदेश में 2-3 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां से हम पिछले 30-35 सालों से जीते नहीं हैं। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में दिग्विजय को भोपाल या इंदौर से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाये जाने के कयास लगाए जाने लगे।
कांग्रेस ने साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में ये दोनों सीटें जीती थीं। तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की लहर थी, जिसके चलते भोपाल से के.एन. प्रधान एवं इंदौर से पार्टी के दिग्गज नेता प्रकाश चंद्र सेठी जीते थे। इन दोनों सीटों पर पिछले 30 साल से भाजपा का कब्जा है। इन दोनों सीटों को भाजपा ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से छीनी थी और तब से लेकर अब तक इन दोनों सीटों पर आठ बार भाजपा ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को धूल चटाई है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा दिग्विजय को प्रदेश की सबसे मुश्किल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने मशविरा दिए जाने के बाद दिग्विजय ने सोमवार को ट्विटर में लिखा, ‘मैं राघौगढ़ की जनता की कृपा से (राघौगढ़ विधानसभा सीट से) वर्ष 1977 की जनता पार्टी लहर में भी लड़ कर जीत कर आया था। चुनौतियों को स्वीकार करना मेरी आदत है। जहां से भी मेरे नेता राहुल गांधी जी कहेंगे, मैं लोकसभा चुनाव लड़ने तैयार हूं। नर्मदे हर।’
एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय ने लिखा, ‘धन्यवाद कमलनाथ जी को, जिन्होंने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमजोर सीटों पर लड़ने का (मुझे) आमंत्रण दिया। उन्होंने मुझे इस लायक समझा, मैं उनका आभारी हूं।’मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए 29 अप्रैल से लेकर 19 मई के बीच चार चरणों में मतदान होना है।
राघौगढ़ राजघराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय और उसके परिवार के सदस्य सामान्यत: अपनी परंपरागत राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। इस सीट से साल 1984 और 1991 में दिग्विजय कांग्रेस की टिकट पर जीत कर सांसद रहे, जबकि उसके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह इस सीट से पांच बार सांसद बन चुके हैं। लक्ष्मण साल 1994 के उपचुनाव, 1996, 1998 और 1999 में कांग्रेस की टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए, जबकि साल 2004 में भाजपा के टिकट पर। हालांकि, दिग्विजय के समर्थक चाहते हैं कि उन्हें राजगढ़ सीट से ही चुनाव लड़ना चाहिए।