स्मारक घोटाला : पूर्व आईएएस अफसर समेत उन्तालीस  पर चलेगा केस, सरकार ने दी मंजूरी


योगी सरकार ने मायावती सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में हुए स्मारक घोटाले में संलिप्त पाए गए तत्कालीन आईएएस अफसर राम बोध मौर्य समेत 39 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाने की अनुमति दे दी है।


सरकार ने जिन अफसरों के  खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी है, उनमें तत्कालीन निदेशक खनिज राम बोध मौर्य, राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, संयुक्त निदेशक खनिज सुहेल अहमद फारुखी के अलावा 36 अन्य अधिकारी व इंजीनियर शामिल हैं। ये सभी लोकायुक्त जांच में भी दोषी पाए गए थे। इनमें राम बोध व सीपी सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

1410 करोड़ के घोटाले में दो साल पहले मांगी थी अनुमति
सूत्रों की मानें तो 1410 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में सतर्कता अधिष्ठान ने उक्त अधिकारियों व इंजीनियरों के खिलाफ दो वर्ष पूर्व अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। अनुमति मिलने के बाद अब इन अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करेगा। इस मामले की शुरुआती जांच लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने की थी।


घोटाले में पूर्व नसीमुद्दीन, बाबू सिंह कुशवाहा को लोकायुक्त ने बताया था दोषी


मायावती शासन के दौरान वर्ष 2007 से 2012 के दौरान लखनऊ और नोएडा में हुए स्मारकों के निर्माण में 1410 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। इस मामले की शुरुआती जांच लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने की थी। उन्होंने 20 मई 2013 को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुख्य सचिव को भेजी थी। लोकायुक्त ने अपनी जांच में घोटाले के लिए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। 

लोकायुक्त ने सभी के खिलाफ विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की थी। लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद सरकार ने शुरुआती जांच ईओडब्ल्यू से कराई थी और फिर मामले को सतर्कता अधिष्ठान के हवाले कर दिया गया।

आरोपियों में एक विधायक, दो पूर्व विधायक, दो वकील, खनन विभाग के पांच अधिकारी, राजकीय निर्माण निगम के 57 इंजीनियर व 37 लेखाकार, एलडीए के  पांच इंजीनियर, पत्थरों की आपूर्ति करने वाली 60 फर्में व 20 कंसोर्टियम प्रमुख तथा आठ बिचौलिये शामिल थे। 

लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में नसीमुद्दीन, बाबू सिंह कुशवाहा, राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, खनन के तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुहेल अहमद फारूकी तथा 15 अन्य इंजीनियरों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराकर जांच कराने तथा घोटाले की धनराशि की वसूली करने के साथ ही पूरे मामले की जांच सीबीआई या स्पेशल टास्क फोर्स गठित कर कराने की भी संस्तुति की थी।


34 फीसदी महंगा पत्थर खरीदकर सरकार को 1410 करोड़ का लगाया था चूना


रिपोर्ट में लोकायुक्त ने पत्थरों की बाजार दर से 34 फीसदी ज्यादा दर पर खरीद करने से सरकार को हुई 14.10 अरब रुपये क्षति की भरपाई के लिए क्रिमिनल लॉ एमेडमेंट ऑर्डिनेंस 1944 की धारा 3 के तहत न्यायालय से अनुमति लेकर आरोपियों की संपत्ति कुर्क करके वसूली की सिफारिश की गई थी।

नसीमुद्दीन व बाबू सिंह से कुल धनराशि का 30-30 प्रतिशत, सीपी सिंह से 15 प्रतिशत, एसए फारूकी से पांच प्रतिशत तथा आरएनएन के 15 इंजीनियरों से कुल 15 प्रतिशत धनराशि की वसूली की सिफारिश की गई थी। यह भी सिफारिश की गई थी कि जांच में आरएनएन के जिन लेखाकारों पर आय से अधिक संपत्ति पाई जाए उनसे शेष हानि का पांच प्रतिशत वसूल किया जाए।