पीड़ित इकरार अहमद उपर पुलिस अधीक्षक ,अजय प्रताप सिंह विपक्षी सगीर अहमद
जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दर-दर की ठोकरे खा रहा पीड़ित मामला न्यायलय में,पुलिस संदेह के घेरे में
डी0पी0श्रीवास्तव
बहराइच। समय-समय पर जिले में हो रही खुली गुंडई के बीच नगर में दबंगई का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें पीड़ित द्वारा वर्षों से कानून के तलवे चाटने के बाद भी क्षेत्रीय थाने में दबंगों के रुतबे के आगे न सिर्फ विवेचना रिपोर्ट लगाये जाने में खेल किया गया,बल्कि दबंगों पर एफआइआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस द्वारा कार्यवाही तो दूर उन पर किसी भी प्रकार का दबाव तक नहीं डाला गया।बाउजूद पीड़ित अपनी जिंदगी और मौत की परवाह किये बगैर आज भी दबंगों द्वारा कब्जा की गई अपनी जमीन को पाने की आस में न्यायालय के सहारे आर पार की लड़ाई करता नजर आ रहा है। जिले स्तर से लेकर शासन स्तर तक तमाम जद्दोजहद के बाद भी हौसलामंद विपक्षियों द्वारा पीड़ित पर कहर बरपाए जाने के बाद भी तहसील दिवस, थाना दिवस,थाना, चौकी,जिलाधिकारी,डीआईजी व पुलिस अधीक्षक की चौखट पर पिछले कई वर्षों से पीड़ित द्वारा तलुवा रगड़ने के बाद भी अन्याय की तलवार से पीड़ित का गर्दन रेता जाता रहा।
मामला पलरीबाग,इमामगंज, चौकी गल्ला मंडी,थाना दरगाह शरीफ,गाटा संख्या 2073 मि0 रकबा 6 डि0 पर एक विवादित भूमि को लेकर बताया जा रहा है। जिसमें पीड़ित अब्दुल इकरार पुत्र कलाम मोहल्ला काजीपुरा थाना नगर कोतवाली जिला बहराइच द्वारा आरोप लगाया गया है कि उसकी उक्त भूमि पर उसके द्वारा खादी ग्रामउद्योग विभाग से लोन लेकर एक धानी चक्की का कारखाना लगाया गया था।जिसमें दिनांक 13. 05.2 016 की रात वाहिद,छोटे व बिल्ली पुत्रगड़ रमजान तथा सगीर पुत्र सिद्दीकी निवासी पलरीबाग इमामगंज, थाना दरगाह शरीफ द्वारा वहां लगे लाखों रुपए के मशीन व उपकरणों की चोरी कर ली गई जिसकी सूचना थाना दरगाह शरीफ पर पीड़ित द्वारा दूसरे दिन दी गई। पुलिस द्वारा आरोपियों को पकड़कर थाने तक तो लाया गया लेकिन बाद में सबको छोड़ दिया गया। पीड़ित का कहना था कि वह थकहार कर सक्षम न्यायालय में अपने अधिवक्ता के माध्यम से 156 (3) द0प्र0सं0 के तहत मामले में एफआईआर लिखवाये जाने की गुहार लगाने के बाद मामले में 1279/16 धारा 457, 380 आईपीसी का मुकदमा पंजीकृत हो सका।लेकिन एफ0 आई0आर0 दर्ज होने के बाद भी पुलिस द्वारा न सिर्फ पीड़ित को धमकाया जाता रहा बल्कि रिपोर्ट भी मुल्जिमों के फेवर में लगा दी गई। बावजूद हताश और परेशान इकरार द्वारा एक बार फिर मामले में पुनर्विवेचना हेतु न्यायालय से गुहार लगाई जाती रही परिणाम स्वरूप विद्वान सिविल जज(प्र0खं0) एफटीसी बहराइच द्वारा दिनांक 23.02.2 018 को पुलिस द्वारा प्रेषित अंतिम रिपोर्ट संख्या 101/16 दिनांक 22.10.2016, को निरस्त करते हुए उपरोक्त मामले में अग्रिम विवेचना सुनिश्चित कराए जाने के आदेश दे दिए गए। बावजूद मामले में पुलिस के ढुलमुल रवैए का फायदा उठाकर दबंगई के बल पर उक्त भूमि पर दबंगों द्वारा निर्माण भी करवा लिया गया। जिसमें सबसे शर्मनाक भूमिका पुलिस की ही रही जो सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बाद भी चुप रही।पीड़ित का कहना है कि पुलिस की संवेदनहीनता व भ्रष्ट कार्य प्रणालियों का आलम यह था कि वह आज तक अपनी दूसरी विवेचना रिपोर्ट को अब तक अदालत में पेश नहीं कर सकी है।जबकि दबंगों द्वारा सारे निर्माण कार्य उक्त भूमि पर स्टे लगे होने के दौरान ही करवाए गए। बताते हैं कि उप निरीक्षक थाना दरगाह शरीफ भगवान सिंह द्वारा पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई रिपोर्ट में कब्जेदारी को लेकर मामले का न्यायालय में विचाराधीन का हवाला देकर मौके पर कोई भी निर्माण कार्य न होने की बात लिखते हुए दोनों पक्षों पर निरोधात्मक कार्यवाही किए जाने की बात कही है। पीड़ित इकरार अहमद का कहना है कि उक्त भूमि उसकी मां द्वारा विपक्षी गढ़ के पिता रमजान से सन 1981 में बतौर रजिस्टर्ड एग्रीमेंट खरीदा गया था जो कि नगरपालिका के सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज था। लेकिन मां की मृत्यु के बाद उक्त भूमि को अपने व अपने भाई के नाम से नपाप के अभिलेखों में दर्ज करवाने के बाद खादी ग्रामोद्योग विभाग से कर्ज लेकर बिजली कनेक्शन करवाते हुए तेल धानी मशीन लगाकर अपना रोजगार शुरू किया।उसने यह भी बताया कि बिजली विभाग का कुछ बकाया हो जाने पर विभाग ने मेरे साथ न सिर्फ सौतेला व्यवहार किया बल्कि उसके कृत्य से हमारा रोजगार भी बंद हो गया।लेकिन बिजली विभाग को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी और उसे मुझे हर्जाना भी देना है। लेकिन इस भागदौड़ व परेशानी में उक्त कारखाने से हमारे लाखों के मशीन व उपकरण चुराए जाने और जमीन पर विपक्षियों द्वारा कब्जा कर लिए जाने के कारण मैं ठोकर दर ठोकर खाता रहा हूं। उसका कहना है कि मामले को लेकर मैं तब तक लड़ता रहूंगा जब तक मुझे न्याय नहीं मिल जाता और यदि जरूरत पड़ी तो विधानसभा के सामने धरना प्रदर्शन भी करूँगा। मामले को लेकर जब एरिया में रहे सेवानिवृत्त लेखपाल वारिस अली से बात की गई तो उन्होंने भी यह बात स्वीकार की कि इकरार अपनी जगह पर सही था लेकिन जमीन बैनामा न होने के कारण दाखिल खारिज नहीं हो सका जिसका लाभ विपक्षी मृतक रमजान के पुत्रों द्वारा उठाया गया। इनके द्वारा अपने पिता के मृत्यु के बाद इसी तरह के कई और जमीनों पर भी ऐसे ही कारनामे किये गए हैं।मामले को लेकर जब हमारे जिला प्रभारी द्वारा सिओसिटी से बात की गई तो उनके द्वारा मामले के विवेचक गल्लामंडी चौकी इंचार्ज सावन सिंह से बात कर मामले की जानकारी ली गई।वहीँ अपर पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर जब मामले को उनके संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने पीड़ित को अपने पास भेजने की बात कही।और दूसरे दिन पीड़ित के मुलाकात करने पर उनके द्वारा स्वयं थानाध्यक्ष दरगाह शरीफ को फोन कर मामले में उचित कार्यवाही करने को कहा गया।लेकिन इतना सब होने के बाद भी विपक्षियों का उक्त विवादित भूमि पर काबिज होना जहाँ पुलिस को भी संदेह के घेरे में खड़ा करती नजर आ रही है वहीँ पीड़ित इकरार का लगातार थाने चौकी का चक्कर लगाना कहीं न कहीं से एक और घटना को अंजाम देता नजर आ रहा है।