दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचीन के अस्पताल को अपना पहला ऑक्सीजन प्लांट मिल गया है। जवानों के लिए यहां स्थित अस्पताल 'सियाचीन हीलर' को यह प्लांट उपहारस्वरूप मिला है। करीब 22 हजार फीट की ऊंचाई पर जवानों की मुश्किलों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से कई बार जवानों की नींद में ही जान चली जाती है।
इस ऑक्सीजन प्लांट को महाराष्ट्र के पुणे स्थित एनजीओ 'सोल्जर्स इंडिपेंडेंट रिहेबलिटेशन फाउंडेशन' ने अस्पताल को तोहफे में दिया है। इस एनजीओ की संस्थापक दंपत्ति सुमिधा और योगेश चिताडे ने पैसा जुटाने के लिए अपने गहने तक बेच दिए थे। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल वाई जोशी ने संस्था के अध्यक्ष योगेश चिताडे की मौजूदगी में इसका उद्घाटन किया। सेना के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सियाचीन अस्पताल प्रतापपुर के पास स्थित है। यह अस्पताल न सिर्फ ग्लेशियर में तैनात जवानों को चिकित्सा सुविधा पहुंचाता है बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों का भी इलाज करता है। यहां नुब्रा घाटी तक से लोग आते हैं। यह संस्था सेना के कल्याण के लिए 1999 से काम कर रही हैं।
गर्मियों में पारा —35 डिग्री
सियाचीन में मौसम की दुश्वारियों का आलम यह है कि वहां गर्मियों में भी तापमान शून्य से 35 डिग्री नीचे होता है और सर्दियों में शून्य से 55 डिग्री नीचे पहुंच जाता है। अत्यधिक सर्दी और आक्सीजन की कमी से जवानों के लिए वहां ड्यूटी करना बहुत ही मुश्किल होता है।
चंडीगढ़ से पहुंचाए जाते थे सिलेंडर
योगेश चिताडे सेना से समयपूर्व रिटायर हो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ से ऑक्सीजन सिलेंडर को 22,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचाया जाता है। कभी-कभी कोई हेलीकॉप्टर भी नहीं होता है जो वहां तक सिलेंडर पहुंचा सके।