सुप्रीम कोर्ट ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का भविष्य दो सप्ताह बाद तय करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत से इस एसआईटी को खत्म करने का आग्रह किया था। गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था।
सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि एसआईटी की जांच पूरी हो चुकी है और उसने कोर्ट में रिपोर्ट दखिल कर दी है। एसआईटी अब खाली है, लिहाजा इसे खत्म कर दिया जाए। इस पर पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने पीठ ने गुहार लगाई कि उन्हें एसआईटी रिपोर्ट को देखने की इजाजत दी जाए। लेकिन एएसजी आनंद ने रिपोर्ट को गोपनीय और सीलबंद लिफाफे में होने के चलते इसका विरोध किया। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह दो हफ्ते में इस संबंध में इस आग्रह को लेकर जरूरी आदेश पारित करेगी।
जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपोर्ट की जांच करने के बाद शीर्ष अदालत को इस बात पर फैसला लेना है कि इस रिपोर्ट को याचिकाकर्ताओं के साथ सीलबंद लिफाफे में साझा किया जाना चाहिए या नहीं। इस मामले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी।