रुड़की । वैश्य समाज की सियासत से एक तरह से पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन की विदाई हो गई है और उनकी जगह अब नवनिर्वाचित मेयर गौरव गोयल आ गए हैं। अब शहर की सियासत में वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व गौरव गोयल ही करेंगे। यह बात तो वैश्य समाज के मतदाताओं के चुनावी रुझान से भी पुष्ट हो चुकी है और समाज के अधिकतर लोगों की ताजा ओपिनियन भी यही है। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन को अब विधानसभा का चुनाव लड़ने का अवसर भी नहीं मिल सकेगा। क्योंकि एज फैक्टर आड़े आ रहा है।। वैसे भी कांग्रेस में पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन को अब टिकट मिल नहीं सकता और भाजपा में उनके किसी भी दृष्टि से टिकट के समीकरण बन नहीं पा रहे हैं। भाजपा में मौजूदा विधायक प्रदीप बत्रा युवा होने के साथ ही सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बहुत अधिक सक्रिय है। भाजपा हाईकमान भी उनकी सक्रियता को स्वीकार करते हुए कई बार उनकी तारीफ कर चुका है। क्योंकि वह सोशल मीडिया के जरिए भी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, भाजपा के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ,प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू महामंत्री संगठन भाजपा अजय कुमार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व तमाम केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा नेताओं से जुड़े हुए हैं। इसीलिए उनकी वर्ष 2022 की दावेदारी को चुनौती देना हर किसी के बस की बात नहीं। हां उनकी दावेदारी को थोड़ा बहुत जो भी चुनौती मिलेगी। वह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मयंक गुप्ता व नवनिर्वाचित मेयर गौरव गोयल की ओर से ही मिलेगी। क्योंकि मेयर पद का चुनाव हारने के बाद मयंक गुप्ता की कोशिश अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की होगी। नवनिर्वाचित मेयर के समर्थकों के प्रयास भी रहेंगे कि वह विधानसभा का चुनाव भाजपा से लड़े । विशेषकर वैश्य समाज ऐसा चाहेगा । लेकिन हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में ऋषिकेश और लक्सर में वैश्य समाज के मौजूदा भाजपा विधायक है। इसीलिए तीसरे वैश्य समाज के नेता को हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा का टिकट मिलने की गुंजाइश काफी कम है। वही कांग्रेस में सुरेश जैन के लिए अब इसलिए जगह नहीं है ।क्योंकि वर्ष 2017 का वह कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने के सप्ताह भर बाद ही पार्टी छोड़ गए। अब ऐसे में कांग्रेस में उनके नाम पर विचार की दूर तक संभावना नहीं। हां यदि कांग्रेस में विधानसभा के टिकट पर विचार हो सकता है तो वह नवनिर्वाचित मेयर गौरव गोयल के नाम पर हो सकता है। यह बात अलग है कि गौरव गोयल ने अभी विधानसभा चुनाव के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। वह भविष्य में कांग्रेस में जा भी सकते हैं या नहीं इस बारे में भी अभी उनके द्वारा निर्णय लेना बाकी है। लेकिन यह बात पूरी तरह साफ हो गई है कि वैश्य समाज की राजनीति में जो स्थान पहले पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन का हुआ करता था अब वह स्थान नवनिर्वाचित मेयर गौरव गोयल का हो गया है। वहीं देखा जाए तो जिस तरह से पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन और मयंक गुप्ता के बीच वैश्य समाज की सियासत में हमेशा टकराव की स्थिति रही ।ऐसा अब मयंक गुप्ता और गौरव गोयल के बीच हो सकता है। जिसमें सुरेश चंद जैन ने कभी मयंक गुप्ता को टिकट नहीं होने दिया। अब यदि मयंक टिकट हुआ भी तो तब हुआ। जब पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन एज फैक्टर में डाउन आ गए। ऐसे में यदि गौरव गोयल भाजपा में आते हैं तो निश्चित रूप से जिस तरह से सुरेश चंद जैन ने कभी मयंक गुप्ता को टिकट नहीं होने दिया। ऐसे ही मयंक गुप्ता भी गौरव गोयल के टिकट में बाधा बने रहेंगे। मयंक गुप्ता की भी कोशिश ऐसे ही रहेगी कि चाहे विधानसभा हो या नगर निगम उनका प्रयास टिकट हासिल करने का रहेगा । ऐसे ही सुरेश चंद जैन के प्रयास रहे। दो बार विधायक रहे तो उनकी कोशिश अपने करीबी को नगर निकाय लड़ाने की रही ।जब हार गए तो दोनों बार उन्होंने खुद भाजपा के सिंबल पर मेयर का चुनाव लड़ने के हरसंभव प्रयास किए । यह बात दिगर कि भाजपा हाईकमान ने दोनों बार ही उनकी मर्जी के खिलाफ भाजपा का टिकट दिया। बहरहाल ,वैश्य समाज के लोगों का कहना है कि अब पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन की विदाई हो चुकी है और मेयर गौरव गोयल उनकी जगह आ चुके हैं। वैश्य समाज के काफी लोग यह मान रहे हैं कि जिस तरह से सुरेश चंद जैन और मयंक गुप्ता के बीच लंबे समय तक राजनीतिक टकराव रहा। अब ऐसी ही स्थिति गौरव गोयल और मयंक गुप्ता के बीच बनी रहेगी। चाहे समाज की राजनीति हो या फिर दलीय राजनीति। यदि दोनों एक ही पार्टी में आ गए तो टिकट व अन्य ओहदो को लेकर खींचतान रहा करेगी और यदि मयंक गुप्ता भाजपा में और गौरव कांग्रेस में जाते हैं तो ऐसे में भी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनी रहेगी। यह समय के समीकरणों पर निर्भर करेगा कि कौन किस पर भारी रहेगा। राजनीतिक जानकार यह बात पूरी तरह स्पष्ट कर चुके हैं कि गौरव गोयल और मयंक गुप्ता की इच्छा विधानसभा चुनाव लड़ने की है। वैसे मयंक गुप्ता हमेशा से संगठन की राजनीति करते आए हैं।
सुरेश चंद जैन की जगह गौरव गोयल आ गनगर निगम चुनाव परिणामों से वैश्य समाज की सियासत में बड़ा उलटफेर