नई दिल्ली । सद्दाम हुसैन को दुनिया एक तानाशाह के रूप में जानती है। वहीं ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जिनके लिए वह एक अच्छा दोस्त और बेहतर मेजबान थे। सद्दाम हुसैन का ये रूप दुनिया के सामने ज्यादा नहीं आ सका। यह भी सच है कि दुनिया के सामने अमेरिका सद्दाम हुसैन को एक दरिंदे तानाशाह के रूप में पेश करने में पूरी तरह से सफल रहा। बहरहाल, सद्दाम हुसैन का नाम अब अतीत के पन्नों तक ही सीमित रह गया है। सद्दाम हुसैन के शासन के बाद इराक न सिर्फ बदहाली की तरफ बढ़ गया बल्कि राजनीतिक तौर पर काफी हद तक अस्थिर भी रहा। सद्दाम को अमेरिकी सैनिकों द्वारा एक बंकर से गिरफ्तार करने के बाद 30 दिसंबर 2006 को बगदाद में फांसी दे दी गई। उन पर आरोप था कि उन्होंने सैकड़ों की संख्या में शियाओं की हत्या करवाई और कुर्दों को भी नहीं बख्शा। आपको बता दें कि मार्च 1974 में सद्दाम भारत आए थे। उस वक्त वो इराक के उप राष्ट्रपति थे।
जब दिल्ली का 1 कारपेंटर बना, सोने के कप में मिली थी कॉफी, था सद्दाम हुसैन का खास मेहमान