डिफाल्टर घोषित कंपनियों के निदेशकों को राहत



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की डिफाल्टर घोषित की गई कंपनियों के निदेशकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन निदेशकों को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित करने और इनके डिन नंबर बंद करने का कंपनी रजिस्ट्रार का आदेश रद्द कर दिया है। अदालत ने रजिस्ट्रार द्वारा की गई कार्रवाई को गैरकानूनी मानते हुए उनको नए सिरे से नियमानुसार कार्रवाई करने की छूट दी है। अब निदेशकों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष जानने के बाद ही रजिस्ट्रार कोई निर्णय ले सकेंगे।
 

कोर्ट ने कहना था कि  धारा 164 के तहत अयोग्य घोषित निदेशकों का डी आई एन नंबर बंद करने की कार्रवाई विधि विरुद्ध है। केवल  नियम 11 की शर्तों के अनुसार डिन रोकने या बंद करने की कार्रवाई की जा सकती है अयोग्य करार दिए गए निदेशकों की सूची भी कोर्ट ने रद्द कर दी है। जय शंकर अग्रहरि सहित सैकड़ों अयोग्य करार दिए गए कंपनी निदेशकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कंपनी रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने सुनवाई की। 

तीन लाख कंपनियों के निदेशकों पर हुई है कार्रवाई

भारत सरकार ने देश की करीब तीन लाख कंपनियों के निदेशकों को पर कार्रवाई की। यह सभी ऐसी कंपनियों के निदेशक थे जो डिफाल्टर थीं। इन कंपनियों ने  पिछले तीन साल का रिटर्न दाखिल नहीं किया था। ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया और उन के डायरेक्टरों को अयोग्य करार देते हुए अगले पांच साल तक किसी दूसरी कंपनी में निदेशक के तौर पर काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 

इसी कार्रवाई के तहत उनके डिन नंबर बंद कर दिए गए थे। जिसकी वजह से वह दूसरी कंपनियां का कार्य नहीं कर पा रहे थे। हाईकोर्ट के इस आदेश से उत्तर प्रदेश की डिफाल्टर घोषित कंपनियों के निदेशकों को राहत मिली है।