दिल्ली पुलिस ने जेएनयू हिंसा मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा भड़काने व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में तीन मुकदमे दर्ज किया है। इस मामले में सोमवार शाम तक पुलिस को कोई शिकायत नहीं मिली थी। मामले की जांच स्थानीय पुलिस से लेकर अपराध शाखा को सौंप दी गई है। हालांकि हमले को दो दिन हो गए हैं लेकिन एक भी आरोपी अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। जानिए अब तक की पुलिस जांच के क्या हैं अपडेट..
- पुलिस उन व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट्स की जांच भी कर रही है जो सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे थे और उनके नंबरों की भी पहचान कर ली गई है। उनमें से अधिकतर नंबर स्विच ऑफ आ रहे हैं। लेकिन इन नंबरों की लोकेशन हिंसा के वक्त कहां थी सीडीआर से ले लिया जाएगा।
- 3 जनवरी को जेएनयू के सीसीटीवी सर्वर को क्षतिग्रस्त कर दिए जाने की वजह से अपराध शाखा के लिए ये मुश्किल हो रहा है कि वह हिंसा में संलिप्त आरोपियों की पहचान कर पाएं। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल रहे क्योंकि सर्वर तीन जनवरी को क्षतिग्रस्त कर दिए थे। इस संबंध में एक एफआईआर भी दर्ज की गई है।
- जेएनयू के वीसी मंगलवार को फिर सामने आए उन्होंने जानकारी दी है विश्वविद्यालय में सर्वर ने काम करना शुरू कर दिया है। अब छात्र रजिस्ट्रेशन फिर से करा सकते हैं। वीसी ने कहा है कि उन्हें घायल छात्रों से पूरी हमदर्दी है लेकिन विश्वविद्यालय में हिंसा की कोई जगह नहीं है।
- जेएनयू मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी की प्रमुख ज्वाइंट सीपी शालिनी सिंह ने बताया है कि वारदात वाली सभी जगहों पर गए और छात्रों से बात की। उन्होंने हम पर भरोसा जताया और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं।
- इस मामले में सरकारी सूत्रों के हवाले से बड़ा अपडेट सामने आ रहा है कि जेएनयू हमले में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए पुलिस वीडियो फुटेज, चेहरे पहचानने की प्रणाली का इस्तेमाल कर रही है।
- 100 से ज्यादा कैमरों के वीडियो कब्जे में ले लिए गए हैं।
- क्राइम ब्रांच आज फिर जेएनयू कैंपस में जांच के लिए पहुंची।
- 34 लोगों के बयान ले लिए गए हैं।
- आईशी घोष पर सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने के आरोप में एफआईआर दर्ज।
वहीं दूसरी ओर जेएनयू प्रशासन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पूरे मामले की प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है। अपराध शाखा की कई टीमों ने सोमवार सुबह जेएनयू पहुंचकर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने मौके से कुछ सैंपल भी उठाए। दिल्ली पुलिस ने इस बात से इंकार किया है कि जेएनयू हिंसा में बाहरी व्यक्ति शामिल थे। सोमवार को भी माहौल तनावपूर्ण था और कैंपस के अंदर व बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था।
जिला पुलिस उपायुक्त देवेंद्र आर्या ने बताया कि एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है। वसंत कुंज (नार्थ) थानाध्यक्ष रितुराज की शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि सोमवार देर शाम तक पुलिस को जेएनयू यूनिवर्सिटी समेत किसी पक्ष से कोई शिकायत नहीं मिली थी।
उपायुक्त का कहना है कि रविवार शाम को 4.57 बजे जेएनयू कैंपस में झगड़े की कॉल मिली थी। पुलिस कैंपस में गई थी। पुलिस माहौल को शांत कराकर वापस आ गई थी। पुलिस को कैंपस में सब कुछ सामान्य लगा था। इसके बाद पुलिस को 7.12 बजे दोबारा झगड़े की सूचना मिली थी।
इस पर पुलिस दोबारा वहां गई थी। इसके बाद पुलिस ने वहां फ्लैग मार्च कर स्थिति को नियंत्रित किया था। उन्होंने बताया कि जेएनयू हिंसा मामले में 34 लोगों की एमएलसी बनी है।
हालांकि पुलिस उपायुक्त ने इस बात से साफ इंकार किया है कि जेएनयू कैंपस हिंसा में कोई बाहरी व्यक्ति था। अगर लोग आरोप लगा रहे हैं तो इसकी जांच की जाएगी। सोशल मीडिया व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर नकाबपोश आरोपियों की पहचान की जा रही है। सोमवार शाम तक किसी आरोपी की पहचान नहीं हुई थी और न ही किसी को गिरफ्तार किया गया था। एफएसएल टीम ने मौके से कई नमूने उठाए थे।
पुलिस को सोमवार को 46 कॉल मिली थी
पुलिस उपायुक्त के मुताबिक जेएनयू हिंसा मामले में पुलिस को कुल 46 कॉल मिली थीं। सबसे पहली कॉल मिलने पर पीसीआर वैन कैंपस में गई थी। पुलिस वैन में तैनात पुलिसकर्मियों ने हालात सामान्य बताए थे।
इस पर पुलिस दोबारा वहां गई थी। इसके बाद पुलिस ने वहां फ्लैग मार्च कर स्थिति को नियंत्रित किया था। उन्होंने बताया कि जेएनयू हिंसा मामले में 34 लोगों की एमएलसी बनी है।
हालांकि पुलिस उपायुक्त ने इस बात से साफ इंकार किया है कि जेएनयू कैंपस हिंसा में कोई बाहरी व्यक्ति था। अगर लोग आरोप लगा रहे हैं तो इसकी जांच की जाएगी। सोशल मीडिया व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर नकाबपोश आरोपियों की पहचान की जा रही है। सोमवार शाम तक किसी आरोपी की पहचान नहीं हुई थी और न ही किसी को गिरफ्तार किया गया था। एफएसएल टीम ने मौके से कई नमूने उठाए थे।
पुलिस को सोमवार को 46 कॉल मिली थी
पुलिस उपायुक्त के मुताबिक जेएनयू हिंसा मामले में पुलिस को कुल 46 कॉल मिली थीं। सबसे पहली कॉल मिलने पर पीसीआर वैन कैंपस में गई थी। पुलिस वैन में तैनात पुलिसकर्मियों ने हालात सामान्य बताए थे।
पुलिस को मिले हमलावरों के महत्वपूूर्ण सुराग
जेएनयू हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर कहा है कि झगड़ा छात्रों के दो गुटों में हुआ था। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को लेकर झगड़ा चल रहा था। पुलिस को हमलावरों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की देखरेख में फैक्ट फाइंडिंग (तथ्यान्वेषी) कमेटी बनाई गई है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मंदीप सिंह रंघावा ने सोमवार शाम कहा कि कोर्ट के आदेश से जेएनयू के प्रशासनिक ब्लाक में पुलिस रहती है, मगर जिस जगह हिंसा हुई, वह इससे काफी दूर है। 5 बजे पीसीआर कॉल मिली तो पुलिस तुरंत अंदर गई थी।
जेएनयू प्रशासन की अनुमति के बाद दिल्ली पुलिस कैंपस में भीतर घुसी। मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है। उनके मुताबिक, जेएनयू में अपनी सिक्योरिटी होती है। जांच होगी कि जेएनयू के अंदर कौन और किसके साथ गया था।
जेएनयू में सभी की एंट्री होती है। पुलिस के हाथ हमलावरों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग लगे हैं। आरोपियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी। अपराध शाखा की कई टीमें बनाई गई हैं। इन्होंने सोमवार को जेएनयू जाकर मुआयना किया।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मंदीप सिंह रंघावा ने सोमवार शाम कहा कि कोर्ट के आदेश से जेएनयू के प्रशासनिक ब्लाक में पुलिस रहती है, मगर जिस जगह हिंसा हुई, वह इससे काफी दूर है। 5 बजे पीसीआर कॉल मिली तो पुलिस तुरंत अंदर गई थी।
जेएनयू प्रशासन की अनुमति के बाद दिल्ली पुलिस कैंपस में भीतर घुसी। मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है। उनके मुताबिक, जेएनयू में अपनी सिक्योरिटी होती है। जांच होगी कि जेएनयू के अंदर कौन और किसके साथ गया था।
जेएनयू में सभी की एंट्री होती है। पुलिस के हाथ हमलावरों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग लगे हैं। आरोपियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी। अपराध शाखा की कई टीमें बनाई गई हैं। इन्होंने सोमवार को जेएनयू जाकर मुआयना किया।