रूस ने एस-400 मिसाइल प्रणाली का उत्पादन शुरू कर दिया है। भारत को सभी एस-400 रक्षा मिसाइल प्रणालियों की अपूर्ति 2025 तक कर दी जाएगी। यह जानकारी रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बबुश्किन ने शुक्रवार को दिल्ली में दी।
उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस में 22-23 मार्च को होने वाली रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे। एस-300 का उन्नत संस्करण एस-400 पहले रूस के रक्षा बलों को ही उपलब्ध थी। यह मिसाइल 2007 से रूस के बेड़े में शामिल है। अब रूस भारत के लिए इसका निर्माण कर रहा है। इसका निर्माण अल्माज-एंते करता है।
बबुश्किन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन-रूस-ईरान के संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास में भारत को शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि रूस देखेगा कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने इस युद्धाभ्यास को जमीनी स्थिति को समझने की दिशा में उठाया गया कदम बताया। बबुश्किन ने कहा कि न्योता नहीं देने से भारत और रूस के संबंध खराब नहीं होंगे। हमारे हिस्से में रूस और भारतीय नौ सेना में अच्छा संपर्क है। जहां तक प्रतिबंध (ईरान पर) का सवाल है तो ऐसे प्रतिबंधों से भारत-रूस के संबंधों में दूरी नहीं आने वाली है।
उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस में 22-23 मार्च को होने वाली रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे। एस-300 का उन्नत संस्करण एस-400 पहले रूस के रक्षा बलों को ही उपलब्ध थी। यह मिसाइल 2007 से रूस के बेड़े में शामिल है। अब रूस भारत के लिए इसका निर्माण कर रहा है। इसका निर्माण अल्माज-एंते करता है।
बबुश्किन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन-रूस-ईरान के संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास में भारत को शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि रूस देखेगा कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने इस युद्धाभ्यास को जमीनी स्थिति को समझने की दिशा में उठाया गया कदम बताया। बबुश्किन ने कहा कि न्योता नहीं देने से भारत और रूस के संबंध खराब नहीं होंगे। हमारे हिस्से में रूस और भारतीय नौ सेना में अच्छा संपर्क है। जहां तक प्रतिबंध (ईरान पर) का सवाल है तो ऐसे प्रतिबंधों से भारत-रूस के संबंधों में दूरी नहीं आने वाली है।
हवा में ही मार गिराएंगे दुश्मन की मिसाइल
हवा में ही मिसाइलों को मार गिराने वाली एस-400 वायु रक्षा प्रणाली दुनिया की आधुनिकतम प्रणाली है। एस-400 मिसाइल सिस्टम से भारत को रक्षा कवच मिल सकेगा। यह मिसाइल रोधी प्रणाली है। इसमें एक साथ मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर लगा होता है। इसमें तीन दिशाओं से मिसाइल दागने की क्षमता है। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है। रूस इस उन्नत संस्करण एस-400 प्रयोग खुद के लिए ही कर रहा था। बाद में इस प्रणाली को चीन ने भी खरीदा। एस-400 का पहला उपयोग वर्ष 2007 में हुआ था।
खासियत: मिसाइल हमले के खिलाफ रक्षा कवच
- 400 किमी दायरे में परमाणु मिसाइल, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान और बैलिस्टिक मिसाइल नष्ट करने में सक्षम।
- 600 किलोमीटर दूर से अपने लक्ष्य को देख सकता है प्रणाली में लगा रडार।
- हर तरह की मिसाइल, लड़ाकू विमान को मार गिराने की सबसे अचूक क्षमता
- चीन-पाकिस्तान की परमाणु सक्षम बैलेस्टिक मिसाइलों के खिलाफ कवच।
- आधुनिकतम जेट लड़ाकू विमान को भी मार गिराने में सक्षम है।
- पाकिस्तान की सीमा में उड़ रहे विमानों को भी ट्रैक कर सकेगा।
अमेरिका कर चुका है विरोध
2017 में रूस के साथ हुए पांच अरब डॉलर के एस-400 मिसाइल सिस्टम के सौदे का अमेरिका विरोध कर चुका है। तुर्की ने भी रूस से एस-400 सौदा किया, लेकिन अमेरिका ने उस पर पाबंदी लगा दी। हालांकि, भारत के मामले में अमेरिका पर वहां के सांसदों का दबाव है कि भारत को इस प्रतिबंध से दूर रखा जाना चाहिए, इसलिए अमेरिका ने इस पर नरम रुख अपनाया है।
लखनऊ में अगले माह रक्षा प्रदर्शनी
अगले माह लखनऊ में होने वाली रक्षा प्रदर्शनी में रूस के वाणिज्य मंत्री की अगुआई में 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा। बबुश्किन ने बताया कि प्रदर्शनी में हिस्सेदारी करने वाला रूस सबसे बड़ा देश होगा।
दूसरों के वजूद को नकारना चाहता है अमेरिका
भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश दूसरे देशों के अस्तित्व को नकारना चाहते हैं। इनका संशोधनवादी एजेंडा है। अमेरिका दुनिया में ऐसा वैकल्पिक नजरिया बढ़ाना चाहता है जो प्रतिस्पर्धी होने के साथ-साथ विभाजनकारी है। रूसी राजदूत ने कहा कि पश्चिमी देशों के विचार चिंता पैदा करने वाले हैं। अमेरिका चीन को मिटाना चाहता है।