महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साईं जन्म स्थान को लेकर दिए गए बयान के बाद रविवार को शिरडी पूर्णतया बंद रहा। शिरडी में दुकानें, भोजनालय और विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा। लेकिन साईं मंदिर खुला रहा। रविवार को शिरडी बंद के बावजूद श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और साईं के दर्शन किए। इस बीच उद्धव ठाकरे बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने इस विवाद पर चर्चा के लिए सोमवार को मंत्रालय में बैठक बुलाई है।
परभणी जिले के पाथरी गांव को साईं का जन्मस्थान बताते हुए उसके विकास के लिए 100 करोड़ की निधि देने की घोषणा के बाद से शिरडी में बवाल शुरू है। रविवार को शिरडीवासियों ने सुबह मंदिर प्रांगण में द्वारिका माई चबूतरे को नमन कर रैली निकाली और मंदिर परिसर का पूरा चक्कर लगाने के बाद रैली समाप्त की।
इस रैली में पंचकोशी गांव के ग्रामीण शामिल हुए। साईं संस्थान ट्रस्ट एवं अहमदनगर जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि बंद रात 12 से शुरू हुआ, लेकिन मंदिर के कपाट अपने समय पर खुले श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा अर्चना की। शिरडी मंदिर के प्रसादालय में लड्डू के प्रसाद के लिए श्रद्धालुओं की कतार देखी गई।
शिरडी बंद के समर्थन में शिवसेना सांसद
भाजपा के बाद शिवसेना के सांसद सदाशिव लोखंडे ने भी शिरडी बंद का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मैं पहले साईं भक्त हूं उसके बाद सांसद हूं। मैं शिरडीवासियों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करता हूं साईं बाबा ने कभी अपने धर्म और जाति का खुलासा नहीं किया। मैं इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात करने जा रहा हूं। भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पहले से ही उद्धव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ग्रामवासियों को समर्थन देने के साथ ही उनकी मांग है कि उद्धव ठाकरे साईं जन्मस्थान पर दिए बयान वापस लें।
साईं संस्थान ने श्रद्धालुओं को बांटे खाने के पैकेट
साईं बाबा संस्थान के सीईओ डी.एम मुगलिकर ने बताया कि व्यवसायिक प्रतिष्ठान व होटलों के बंद होने से श्रद्धालुओं को खाने पीने की कोई तकलीफ न हो इसलिए साईंबाबा संस्थान की ओर से खाने के पैकेट बांटे गए और कैंटीन में चाय की व्यवस्था की गई। जन्मस्थान के विवाद में रविवार को शिरडी सहित आसपास के 25 गांव पूरी तरह बंद रहे।
शिरडी के लोग हैं नाराज
मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद शिरडी गांव में रहने वाले लोग नाराज हो गए हैं। शिरडी साईं ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पाथरी के विकास से किसी भी तरह की आपत्ति नहीं है लेकिन उसे साईं की जन्मभूमि कहना ठीक नहीं है क्योंकि साईं ने कभी अफने धर्म, जन्मस्थान के बारे में नहीं बताया था। साईं कहां के थे ये किसी को नहीं पता लेकिन उनकी कर्मभूमि शिरडी है। शिरडी की पहचान भी बाबा से होती है। ठाकरे के बयान से लोग आहत हैं और उन्होंने बंद बुलाया है।