छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में नहीं हुआ बदलाव


सरकार ने आम नागरिकों को सुविधा देते हुए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। इससे लोगों को डाकघरों में संचालित योजनाओं के लिए जनवरी-मार्च 2020 की तिमाही में पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा। हालांकि आरबीआई ने सरकार से इन योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती करने की घोषणा की थी। 

यह हो गई है नई ब्याज दर

























































स्मॉल सेविंग स्कीम    ब्याज दर (01.01.2020 से) (फीसदी में)
सुकन्या समृद्धि खाता8.40
बचत खाता4.00 
एक साल टाइम डिपॉजिट6.90 
दो साल टाइम डिपॉजिट6.90
तीन साल टाइम डिपॉजिट6.90
पांच साल टाइम डिपॉजिट7.70 
पांच साल आरडी खाता7.20
पांच साल वरिष्ठ नागरिक स्कीम8.60
पांच साल एमआईएस खाता7.60
पांच साल एनएससी7.90
पीपीएफ7.90
किसान विकास पत्र7.6 (113 महीने में होगी मैच्योर)

आरबीआई ने की थी यह सिफारिश


रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार से लघु बचत योजनाओं के लिए बाजार दरों के अनुरूप ब्याज दर में बदलाव करने के लिए कहा था। छोटी बचत योजनाओं के लिए हर तिमाही में ब्याज दरों में बदलाव किया जाता है और यदि वित्त मंत्रालय मौजूदा दरों में बदलाव नहीं करता है तो दरों में कोई बदलाव नहीं होता है। बैंकों, उद्योग और खाताधारकों की मुख्य रूप से इन लघु बचत योजनाओं पर नजर रहेगी। इन योजनाओं के खाताधारकों में मुख्य रूप से सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, वंचित तबके के लोग, किसान और महिलाएं शामिल होती हैं।
 

इन योजनाओं में डाकघर बचत योजनाएं शामिल होती हैं, जिनमें कई तरह के विश्वसनीय और निवेश पर जोखिम मुक्त रिटर्न देने वाले उत्पाद होते हैं। ऐसी सुरक्षा रिटर्न मुख्य रूप से केंद्र सरकार के बचत पोर्टफोलियो से जुड़ी होती है।

मंत्रालय परोक्ष रूप से इस बात पर जोर देता रहा है कि आरबीआई रेपो दर में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को देने के लिए बैंकों पर दबाव बनाए, जिसे देश में खपत में इजाफा हो। बैंक यह कहकर इस बात का विरोध करते रहे हैं कि अगर वे रेपो दर में कमी का 100 फीसदी फायदा उपभोक्ताओं को देंगे तो इससे उनके उनके मार्जिन में कमी आएगी। 

छोटी बचत योजनाओं पर मिल रहा है ज्यादा ब्याज


सूत्रों ने कहा कि छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें वाणिज्यिक बैंकों की मौजूदा दरों की तुलना में 100 आधार अंक यानी 1 फीसदी ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को भी तय फॉर्मूले के तहत छोटी बचतों पर लागू ब्याज दरों को घटाकर मौद्रिक नीति में बदलाव का फायदा पहुंचाना है। 

एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार ने हाल में कहा था कि बैंक उधारी दरों से संबद्ध जमा दरों में कमी के लिए एक सीमा से आगे नहीं बढ़ सकते हैं। आरबीआई इस साल फरवरी से अभी तक अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 135 आधार अंक की कमी कर चुका है, जबकि बैंकों के नए कर्जों के लिए उधारी दरों में 44 आधार अंक की ही कमी की गई है।

सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़ चुकी हैं जमा दर


फॉर्मूले के तहत छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को समान परिपक्वता की सरकारी प्रतिभूतियों से जोड़ दिया गया है और इनमें हर तिमाही में बदलाव किया जाता है। दूसरी तरफ 2019 में 10 साल के बेंचमार्क वाली सरकारी प्रतिभूति पर ब्याज दरें 80 आधार अंक की कमी आ चुकी है, जबकि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में महज 10 आधार अंक की कमी हुई है।

पीपीएफ पर मिल रहा है 86 आधार अंक ज्यादा ब्याज


छोटी बचत योजनाओं पर दरें तय करने के स्वीकृत फॉर्मूले को देखें तो पीपीएफ पर ब्याज दर बाजार दर की तुलना में 86 आधार अंक ज्यादा है, जबकि किसान विकास पत्र पर 81 आधार अंक ज्यादा ब्याज मिल रही है। वहीं पांच साल की आवर्ती जमा (आरडी) जैसी योजनाओं पर ब्याज दर, बाजार दरों की तुलना में 135 आधार अंक ज्यादा है।