थलसेनाध्यक्ष पद से जनरल रावत की विदाई, बोले नये प्रमुख के नेतृत्व में ऊंचाइयों को छुएगी सेना

नई दिल्ली ।    भारतीय सेना के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। जनरल बिपिन रावत आज देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद संभालेंगे वहीं लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे भारतीय थलसेना के 28वें प्रमुख का कार्यभार ग्रहण करेंगे। जनरल बिपिन रावत और लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारकर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद दोनों साउथ ब्लॉक जाएंगे। जहां वे सेना के परेड की सलामी लेंगे। जनरल रावत एक जनवरी, 2020 को सीडीएस का पदभार ग्रहण करेंगे। विदाई के अवसर पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'आज मैं चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पद से सेनानिवृत्त हो रहा हूं। मैं भारतीय सेना के उन सैनिकों, रैंक और फाइल के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अडिग रहे। मैं जनरल मनोज नरवाणे को अपनी उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देना चाहता हूं जो आज 28वें सेना प्रमुख के रूप में अपना पदभार ग्रहण करेंगे। उम्मीद है कि नये सेना प्रमुख के नेतृत्व में सेना नयी ऊंचाइयों को छुएगी। बिपिन रावत ने सीडीएस पद पर अपनी नियुक्ति पर कहा कि यह सिर्फ एक ओहदा भर है। उन्होंने कहा, 'कोई भी पद सिर्फ एक व्यक्ति के प्रयास से सफल नहीं हो सकता। जनरल रावत अगर आर्मी चीफ बनता है तो उसे सभी विभागों से पूरा सहयोग मिला। सबको मिलकर काम करना होगा तभी सफल होंगे। जनरल बिपिन रावत को साउथ ब्लॉक में सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। थोड़ी देर में वह अगले सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे को बैटन सौंपेंगे। सीडीएस एक 'चार सितारा' जनरल की हैसियत से आर्मी, नेवी और वायु सेना के साझा मुखिया होगा। हालांकि तीनों अंगों के अलग प्रमुख होंगे और उनका दर्जा भी चार सितारा ही होगा। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सरकार के सैन्य सलाहकार होंगे और उसे महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक सलाह देंगे। तीनों सेनाओं के लिए दीर्घकालीन रक्षा योजनाओं, रक्षा खरीद, प्रशिक्षण और परिवहन के लिए प्रभावी समन्वयक का कार्य करेंगे। खतरों और भविष्य में युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर तीनों सेनाओं में आपसी सामंजस्य और मजबूत नेटवर्क बनाने का जिम्मा सीडीएस के कंधों पर होगा। सेनाओं के संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए योजना बनाएंगे। साथ ही सेवा से जुड़ी अहम प्रक्रियाओं को आसान और व्यवस्थित बनाने में भूमिका निभाएंगे। सीडीएस के रूप में जनरल रावत के सामने तीनों सेनाओं की साझी सोच विकसित करने की चुनौती होगी।


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