मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि चुनाव निशान और सीएए-एनआरसी ने डाली भाजपा-शिअद में दरार


भाजपा का दिल्ली चुनाव में शिरोमणि अकाली दल से समझौता टूट गया है। भाजपा इस चुनाव में अब अपने अन्य सहयोगियों के साथ उतर सकती है जबकि शिरोमणि अकाली दल ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरने से इनकार कर दिया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि सीएए और एनआरसी पर उसके भाजपा से मतभेद के कारण दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं हो पाया।


 

हालांकि, पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों पार्टियों में सीटों के मामले पर बात नहीं बन पाई जिसके कारण दोनों दलों का लंबे समय से चला आ रहा गठबंधन टूट गया है। जानकारी के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल सभी सीटों पर अपने पार्टी के निशान तराजू पर चुनाव लड़ना चाहता था, जबकि भाजपा उसे दो सीटों पर कमल के निशान पर चुनाव लड़वाना चाहती थी।

शेष दो सीटें वह शिरोमणि अकाली दल को देने के लिए तैयार थी। इस मामले को लेकर रविवार को भी प्रकाश जावड़ेकर और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के बीच लंबी वार्ता चली थी। लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला था। सोमवार को भी इसके लिए दोनों दलों के नेताओं के बीच लंबी वार्ता चली और अंत तक दोनों किसी समाधान तक पहुंचने की कोशिश करते रहे। लेकिन अंततः दोनों दलों में किसी एक मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई और यह गठबंधन टूट गया।

क्या पड़ेगा असर

शिरोमणि अकाली दल का सिख वोटों पर गहरा प्रभाव माना जाता है। शिरोमणि अकाली दल के कारण इस वोट बैंक का एक अच्छा खासा प्रतिशत भाजपा को मिल जाता था। लेकिन यह गठबंधन टूटने से इस वोट बैंक पर सेंध लगने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि, भाजपा ने इस बात की आशंका को देखते हुए पहले ही सिख उम्मीदवारों को टिकट देकर अपना इरादा साफ कर दिया था। अभी बाकी बची 13 सीटों में भी कुछ सिख उम्मीदवारों को उतार कर पार्टी डैमेज कंट्रोल कर सकती है।


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