यूपी : नोएडा और लखनऊ में लागू हुई कमिश्नर प्रणाली,   क्या है कमिश्नर प्रणाली समझते हैं इसे....

लखनऊ और नोएडा में सबसे पहले पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में हुई बैठक में इस पर मुहर भी लग गई है। बैठक में मुंबई व गुरुग्राम में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के मॉडल पर चर्चा की गई, जिसके बाद इस प्रणाली को लागू करने पर सहमति बनी। सुजीत पाण्डेय लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे। गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह होंगे।  कमिश्नर प्रणाली क्या होती है? इससे कानून व्यवस्था में किस तरह के बदलाव आएंगे और किस स्तर के अधिकारी को इन दोनों जिलों में कमिश्नर बनाया जाएगा...?


क्या है कमिश्नर प्रणाली
आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी जो आजादी के बाद हमारी पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था 100 से अधिक महानगरों में सफलतापूर्वक लागू है।


भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है।


अगर हम इसे सामान्य भाषा में समझें तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।
क्या हैं इस प्रणाली के फायदे
कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अधिकारियों के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस फैसले लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। जिले के कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा।


जिले के डीएम के पास अटकी रहने वाली फाइलों का निपटारा भी जल्द हो सकेगा। इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पावर पुलिस के अधीन हो जाएंगी। इस तरह से पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका खुद लगाने में सक्षम हो जाएगी।


कमिश्नर प्रणाली लागू होने से डीएम से इन बातों के लिए अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। इस प्रणाली के तहत पुलिस को सीआरपीसी में 107-16, धारा 144, 109, 110, 145 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी मिल जाएगी।


होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा।
कमिश्नर प्रणाली में क्या होगी अधिकारियों की रैंकिंग
आम तौर पर पुलिस कमिश्नर विभाग को राज्य सरकार के आधार पर डीआईजी और उससे ऊपर यानी आईजी रैंक व अन्य के अधिकारियों को दिया जाता है। इनके अधीन पद के अनुसार कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। चर्चा है कि नोएडा और लखनऊ में आईजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर नियुक्त किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले इन दोनों जिलों में एसएसपी की तैनाती होती थी। कमिश्नर प्रणाली के कुल पदानुक्रम निम्नानुसार दिए गये हैं:
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर - सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब-इंस्पेक्टर – एसआई
पुलिस दल


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