निजामुद्दीन तबलीगी जमात का दावा- लॉकडाउन होते ही बंद कर दिया था मरकज, 1500 लोगों को घर भेजा, 1000 रह गए थे

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद हड़कंप मच गया था। जिसके बाद 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। निजामुद्दीन मस्जिद वाले इलाके को सील कर दिया गया है। इनके संपर्क में आए 1600 लोगों को पुलिस तलाश रही है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थय संगठन की टीम ने इलाके का दौरा किया है। पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।


पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद निजामुद्दीन मरकज का बयान आया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि 22 मार्च को ही मरकज को बंद कर दिया गया था।


मरकज का बयान


तब्लीग़ी जमात 100 साल से पुरानी संस्था है जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली की बस्ती निज़ामुद्दीन में है। यहां देश और विदेश से लोग लगातार सालों भर आते रहते हैं। यह सिलसिला लगातार चलता है, जिसमें लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते हैं। लोग मरकज में ही रहते हैं और यहीं से तबलीग का काम करते हैं।


जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे, उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा। 


21 मार्च से ही रेल सेवाएं बंद होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आस पास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।


जनता कर्फ्यू के साथ साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन का ऐलान किया। इस वजह से बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए। लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया। ये लोग पूरे देश से आए हुए थे।


प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए हम लोगों ने लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा। उनको मरकज में ही रखना बेहतर था। 24 मार्च को अचानक SHO निज़ामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजा कि हम धारा 144 का उलंघन कर रहे हैं। हमने उसी दिन उनको जवाब दिया कि मरकज को बंद कर दिया गया है। 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। अब 1000 बच गए हैं, जिनको भेजना मुश्किल है क्योंकि ये दूसरे राज्यों से आए हैं। हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं।


हमने SDM को अर्जी दे कर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा। ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमें अभी तक को पास जारी नहीं हुई है। 24 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल टीम अाई। उन्होंने लोगों की जांच की। 26 मार्च को हमें SDM के ऑफिस में बुलाया गया और DM से भी मुलाकात कराया गया। हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा।


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