लखनऊ जानलेवा मांझे की बिक्री धड़ल्ले से जारी - ठोस कार्ऱवाई नही कर रहा जिला प्रशासन
माझें की चपेट में आकर पूर्व में भी हुए कई हादसें - अबतक ठोस क़दम नही उठा सका प्रशासन।
बीते 26 मार्च को मांझे की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हुआ था एक व्यक्ति।
प्रशासन के सुस्त रवैये की बदौलत जानलेवा मांझा विक्रेता पर कोई प्रभावी कार्ऱवाई नही।
आज महिला सिपाही प्रीति यादव भी जानलेवा मांझे की चपेट में गंभीर रूप से घायल।
डीसीपी वुमन पॉवर के ऑफिस में तैनात महिला सिपाही प्रीति पालीटेक्निक पर मांझे की चपेट में आई।
जिला प्रशासन की घोर लापरवाही से जानलेवा मांझा विक्रेता के हौसलें बुलंद।
लोगों की जान से खिलवाड़ करते हुए धड़ल्ले से बेच देते जानलेवा मांझा।
19 मार्च को लोकभवन में बेजुबान कबूतर की मांझे की चपेट में आने से हुई दर्दनाक मौत।
26 मार्च को एक व्यक्ति की मांझे की चपेट में आने से कटी गर्दन- गंभीर हालत में लगे थे 10 टांके।
30 मार्च को पतंग मांझा बेचने के आरोप में अमीनाबाद पुलिस ने अरविंद को दबोच था- अन्य क्षेत्रों के जिम्मेदारों करते रहे लीपापोती।
कांच पड़ा मांझा भारी मात्रा में लखनऊ में बेचा जाता- प्रशासन की सभी इकाइयों बनी हुई अंजान।
जानलेवा मांझे की कहानी समझते हुए भी दुकानदार और ख़रीददार खेल रहे 2020।
मांझे की चपेट में आकर शायद किसी व्यक्ति की मौत का इंतजार कर रहा जिला प्रशासन।
600 और 750 रूपये की 6 फिरकी की जानलेवा मांझे वाली चरखी में मौत को न्यौता देने वाली धार दार क्यों नही लगा रहा है प्रशासन इस पर रोक।