महामारी के समय नायक की भूमिका निभा रहे पत्रकारों को क्यों भूल रहे लोग

आज देश सबसे बड़ी महामारी से जूझ रहा है।इस समय सबसे बड़े नायक के रूप में सिर्फ  तीन विभागों के कर्मचारी अधिकारियों को नायक की भूमिका दी जा रही है। लेकिन इस विषम परिस्थिति में जो नायक की मुख्य भूमिका निभा रहे। आज सोशल मीडिया के माध्यम से लेकर अखबारों टीवी चैनल के माध्यम से जो  सफाई नायक, पुलिस अधिकारी स्वास्थ्य कर्मी आप सभी की सेवा में किस तरह तत्पर हैं। कैसे आप सभी को इस समय महामारी से बचाने का कार्य कर रहे।


इन सभी विभागों के कार्यों को हर  घर तक पहुंचाने का कार्य कर रहे मीडिया कर्मी को सम्मान की दूर की बात आज पहचानने से भी इंकार कर रहे। इस समय समाज सेविका की भूमिका में  हर विभाग के  आला अधिकारी नजर आ रहे। सभी नेता  एकजुट हैं ना तो वह अपने आप को किसी पार्टी का  बता रहे। और ना ही इस मंशा से लोगों की सेवा कर रहे कि मुझे राजनीति में लाभ मिले


 क्योंकि सभी पार्टी के लिए नेता एक साथ मिलकर उन गरीबों  के मसीहा अपने बने है। जिन्हें इस विषम परिस्थिति में  वाकई में मदद की जरूरत है। अधिकारियों  नेताओं और समाजसेवियों  के अच्छे कार्यों को लोगों तक चौथे स्तंभ के मध्य में पहुंचाने का प्रयास पत्रकार कर रहे।


 सभी लोग उन अधिकारियों नेताओं और समाजसेवियों  की वाहवाही कर रहे। और वहां वाहवाही बटोर रहे। लेकिन उन्हें यह जो वाहवाही मिल रही जिसके माध्यम से यह वाहवाही उनको मिल रही क्या उन पत्रकारों का  सम्मान उन्होंने किया। देश का चौथा स्तंभ, समाज का आईना आज निस्वार्थ लोगों को  देश की हर गली की सच्चाई दिखा रहा।


 क्या गलत क्या सही है उसको सोशल मीडिया से  लेकर टीवी, अखबारों के माध्यम से जनता के बीच पहुंचा रहा  इस बीच उसे क्या-क्या परेशानी होती है। यह किसी ने नहीं सोचा।आपको तो सिर्फ खबर चाहिए कैसे भी वह आप तक सबसे पहले पहुंचे जिसने आपको पहले खबर पहुंचा दी वह पत्रकार है  नहीं पहुंचा पाया तो वह दलाल है। सब को यह लगता है कि पत्रकार भगवान है।


 उसको तो खबर घर बैठे मिल जाती है। क्या आपको पता है। कभी-कभी खबर तो जान पर खेल कर लाने पड़ती है। कभी जनता का गुस्सा सहना पड़ता है  तो कभी प्रशासन की गालियां जो वरिष्ठ हैं उन्हे  सामान मिलता जो शुरुआत कर रहे। उन्हें अपमान मिलता। चीन से निकले कोरोना नाम के वायरस ने पूरे विश्व में तबाही मचा रखी है। 


अभी तक इससे लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। और सबसे बड़ी बात तो है अभी तक विशेषज्ञ वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन भी नहीं खोज पाए। यह वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है। हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन का लॉक डाउन भी लगाया गया था। ताकि बहुत तेजी से फैल रहे इस वायरस की कड़ी को तोड़ा जा सके। 


पुलिस प्रशासन, डॉक्टरों, सफाई कर्मियों, मीडिया को छूट दी गई थी कि वह जनपद में अपने संस्थानों के कार्य से कहीं भी आ जा सकते हैं। मीडिया के द्वारा प्रशासन की मदद करने की मंशा जनता के बीच दिखाई जा रही कि किस तरह प्रशासन लोगों की मदद में लगा। 


लेकिन पत्रकारो की कोई तारीफ नहीं कर रहा। प्रशासन की खूब तारीफ हो रही। किस तरह जान पर खेलकर प्रशासन कोरोना से बिना डरे लोगों की मदद कर रहा लेकिन क्या पत्रकारों को कोरोना वायरस नहीं होगा। निस्वार्थ बिना सैलरी, बिना सुरक्षा के दिन रात एक कर के लोगों द्वारा किए गए कार्यों की वाहवाही लोगो के द्वारा करवा दी जाती।


लेकिन पत्रकारों की वाहवाही नहीं होती। इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है कि पत्रकारों को भी सम्मान किया जाए उनकी भी वाहवाही की जाए ताकि उनके भी हौसला अफजाई होते रहें। क्योंकि चौथे स्तंभ के माध्यम से ही आज जनता जागरूक हो रही। 


नहीं तो इतनी बड़ी महामारी से आज जनता जागरूक नहीं हो पाती। वहीं केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा साफ शब्दों में स्पष्ट कर दिया था कि पत्रकारों से किसी भी तरह की बदतमीजी नहीं होगी। उन्हें कवरेज करने से कैसे भी नहीं रोका जाएगा। 


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