मथुरा,5 अप्रैल। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी बंद के दौरान यमुना नदी का पानी धीरे-धीरे साफ होने से पर्यावरणविद खुश हैं।
माथुर चतुर्वेद परिषद् के उपाध्यक्ष राकेश तिवारी ने कहा कि 42 वर्षों के बाद 30 मार्च को ‘यमुना छठ’ पर हम यमुना का साफ पानी देख सके।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों, सामाजिक संगठनों और अन्य प्रकृति प्रेमियों ने यमुना के साफ पानी का श्रेय लॉकडाउन (बंद) को दिया है।
जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अरविंद कुमार ने कहा कि यमुना का पानी सामान्यत: लोगों के नहाने, फूल और माला तथा अन्य पूजा सामग्री फेंके जाने के साथ ही औद्योगिक कचरे से प्रदूषित होता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायलय में यमुना की सफाई के लिए 1998 में जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाले औद्योगिक कचरे में कमी आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘बंद के कारण चूंकि फैक्टरियां यमुना में कचरा नहीं डाल रही हैं इसलिए नदी का पानी साफ होता जा रहा है।’’