आश्चर्यजनक,किन्तु सत्य
राजस्थान की आबादी करीब सात करोड़ है। लेकिन सरकार इससे भी ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग करा चुकी है। यह चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का बयान है कि राजस्थान में 9 करोड़ लोगों से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। यानि आबादी से भी करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की।
इसके बाद भी कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। जो स्क्रीनिंग की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। यूं स्क्रीनिंग की हकीकत ये है कि चिकित्सा विभाग की टीमें घरों के बाहर जाकर केवल ये जानकारी जुटा रही हैं कि घर में कितने लोग रहते हैं और उनमें से किसी को जुकाम, बुखार ,खांसी तो नहीं है।
पिछले दिनों शिक्षकों को सर्वे में लगाया गया है। इनमें से एक मेरे घर भी सर्वे करने आया। मौखिक जानकारी जुटाने के बाद जब मैने उनसे पूछा कि कौनसी स्कूल में अध्यापक हो,तो उनके जवाब ने हिलाकर रख दिया। बोला,मेरी पत्नी टीचर हैं। उसे चार पांच गलियों का सर्वे करना है। उसकी जगह मैं आया हूं। आपके पडोसी तो मेरे परिचित हैं,उनसे तो फोन करके पूछ लिया। आपका नम्बर नहीं था,इसलिए आना पडा। अब आप समझ सकते हैं सर्वे कैसे हो रहा है? इसलिए कोरोना से अपनी रक्षा खुद कीजिए।
सरकारें भी तीन लाकडाउन में थम चुके देश को रफ्तार देने में लग गई है। जब कोरोना रिकॉर्ड तेजी पर हो तो, ट्रेन, बसें, हवाई जहाज चलाकर उससे मुकाबला करने की बात समझ से परे हैं। सडकों पर लोगों की भीड इसे आमंत्रण दे रही है, तो एक शहर से दूसरे शहर और राज्यों में जाने की छूट खतरे को बढा रही है। ऐसा लगता हे सरकार कन्फ्यूजन म़े़ है कि क्या करें? लाकडाउन लगाना जितना आसान था, हटाना उतना ही मुश्किल है। इसलिए अब लिए जा रहे फैसले हर किसी को भौचक्का कर रहे है। ऐसे में अब अगर लाकडाउन बढाया भी गया,तो इसे हाटस्पाट औय कनटेनमेंट जोन तक सीमित किया जा सकता है।