हिमाचल के 14 बेटे सेना में बने अफसर, कोरोना के चलते माता-पिता को नहीं लगा सके कंधों पर सितारे


हिमाचल प्रदेश के 14 युवा सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। शनिवार को सैनरू अकादमी देहरादून से पासआउट होने के बाद जब परिजनों से फोन पर बात की और तस्वीरें साझा कीं तो माता-पिता की आंखों से आंसू छलक आए। लेफ्टिनेंट बने सभी युवाओं के माता-पिता को इसी बात का मलाल रहा कि वे अपने लाडले कंधों पर अपने हाथ से सितारे नहीं लगा सके। उधर, कोरोना वायरस के चलते परिजनों की गैर मौजूदगी में सैन्य अधिकारियों ने अभिभावक बनकर लेफ्टिनेंट युवाओं के कंधों पर सितारे लगाए। माता-पिता ने वीडियो कॉल से यह नजारा देखा।


देहरादून में शनिवार को हुई पासिंग आउट परेड में जैसे ही परिवार की चौथी पीढ़ी के कंधे पर लेफ्टिनेंट पद के सितारे लगे तो मानों परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेफ्टिनेंट बने जोगिंद्रनगर के योगेंद्र सिंह ठाकुर के माता-पिता को यह मलाल जरूर रहा कि वे लाडले के कंधों पर अपने हाथ से सितारे नहीं लगा सके। यही नहीं, दारट बगला गांव के योगेंद्र सिंह ठाकुर (21) ने सीनियर अंडर ऑफिसर के रूप में परेड का नेतृत्व भी किया।
कोरोना वायरस के चलते आईएमए देहरादून में शनिवार को पासिंग आउट परेड पहली बार नवनियुक्त अफसरों के माता-पिता की गैर मौजूदगी में हुई। अधिकारियों ने इनके कंधे पर सितारे लगाए। योगेंद्र के माता-पिता के मुताबिक बेटे का फोन आते ही उनकी आंखों से आंसू छलक आए। माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों ने भी एक-दूसरे को बधाइयां देकर खुशी का इजहार किया। 
योगेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर बालकरूपी से हुई है। आठवीं कक्षा के उपरांत वह राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल जिला सोलन के चायल के लिए चयनित हो गए। वहां अगली शिक्षा ग्रहण कर एनडीए की परीक्षा पास कर महाराष्ट्र के पुणे में खड़कवासला चले गए।


वहां से तीन वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वर्ष 2019 में आईएमए देहरादून पहुंचे। यहां शनिवार को उन्हें लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। इनके पिता अनिल ठाकुर गुम्मा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में प्रधानाचार्य हैं। माता बीना देवी गृहिणी हैं। उनका परिवार तीन पीढ़ियों से सेना में रहकर देश सेवा कर रहा है और चौथी पीढ़ी में योगेंद्र सिंह ने भी इतिहास रचा है।
जुब्बल तहसील के भोलाड गांव निवासी भरत हंसरेटा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। शनिवार को इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में पासिंगआउट परेड हुई। उनकी इस उपलब्धि से परिजनों और क्षेत्रवासियों में खुशी है। भरत ने प्राथमिक शिक्षा डीएवी सरस्वतीनगर से हासिल की। उसके बाद सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा से जमा दो पास की। 2016 में एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद भारतीय सेना की पुणे के खड़गवासला अकादमी से तीन वर्ष का प्रशिक्षण लिया।


इसके बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में एक वर्ष तक प्रशिक्षण लिया। भरत की पहली पोस्टिंग राजस्थान के गंगानगर में हुई है। वह 84 आर्म्ड रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवाएं देंगे। भरत के दादा नारायण हंसरेटा सेवानिवृत्त शिक्षक है। पिता मनमोहन हंसरेटा बागवान है, जबकि माता मीरा हंसरेटा शिक्षिका हैं। कोरोना से पैदा हुए संकट के चलते बेटे की पासिंग आउट परेड में परिजन शामिल नहीं हो सके।
बड़सर सब डिवीजन के समीपवर्ती गांव बल्याह खुर्द के सैन्य पृष्ठ भूमि रखने वाले सैनिक परिवार के पुत्र अनिमेश अग्निहोत्री लेफ्टिनेंट बने हैं। लेफ्टिनेंट अनिमेश परिवार की चौथी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी बने हैं। अपनी पारिवारिक सैन्य परंपराओं का शानदार निर्वहन करते हुए लेफ्टिनेंट अनिमेश ने अपने लक्ष्य को हासिल किया है, जिसमें उसके परिवार के सैन्य परिवेश की शिक्षा-दीक्षा व कड़े अनुशासन के संस्कार मुख्य तौर पर परिलक्षित हो रहे हैं।


अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने से क्षेत्र में जश्न का माहौल है। अनिमेश मेजर एमएल शर्मा के पुत्र हैं, जबकि सूबेदार प्रकाश चंद उनके दादा हैं। इस तरह अनिमेश का पूरा परिवार सेना में सेवाएं देने के लिए प्रख्यात रहा है। अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने पर बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने बधाई दी है। 


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