सहारनपुर की बात करें तो चर्चित एवं कथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला के नाम से भावना नौकरी कर रही थी


चर्चित एवं कथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्रकरण में प्रत्येक जनपद में अलग नाम निकलकर सामने आ रहे हैं। कहीं सुप्रिया सिंह तो कहीं प्रिया और कहीं अनामिका सिंह नाम सामने आया है।


सहारनपुर की बात करें तो यहां अनामिका शुक्ला के नाम से भावना नौकरी कर रही थी।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मुजफ्फराबाद में नियुक्ति के लिए विभाग ने आवेदनकर्ता अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाषचंद शुक्ला के द्वारा भरे गए पते हसनपुर मैनपुरी पर नियुक्ति पत्र भेजा गया तो वहां उक्त नाम और जाति का कोई व्यक्ति नहीं मिला। ऐसे में नियुक्ति पत्र वापस आ गया था। यहीं पर विभाग और नियोक्ता को समझ जाना चाहिए था कि कुछ गड़बड़ है।
इतना ही नहीं, विभागीय सूत्रों ने बताया कि जनसेवा केंद्र पर कथित अनामिका शुक्ला के साथ विद्यालय की एक शिक्षिका भी गई थी। वहां थंब इंप्रेशन देने के बाद कंप्यूटर स्क्रीन पर अनामिका शुक्ला की जगह भावना नाम आया था।


साथ गई शिक्षिका ने इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी थी। इसके बावजूद उक्त महिला की नियुक्ति अनामिका शुक्ला के नाम पर ही की गई। इससे पता चलता है कि नियुक्ति में लापरवाही बरती गई है। अब यह जांच में पता चलेगा कि नौकरी करने वाली महिला असल में कौन थी।
अनामिका के नाम से कैसे खुला बैंक खाता
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मुजफ्फराबाद में अनामिका शुक्ला के नाम से नियुक्त थी। जांच में पता चला है कि उसके द्वारा जमा कराए गए शैक्षिक प्रमाण पत्र रंगीन फोटो कॉपी हैं, जिनमें जालसाजी मिली है।


सूत्रों की मानें तो आधार कार्ड भी रंगीन फोटो कॉपी मिला है, उसमें भी बदलाव किया गया है। सवाल यह है कि फर्जी आधार कार्ड के आधार पर बैंक में अनामिका शुक्ला के नाम से खाता कैसे खुल गया। क्योंकि मानदेय अनामिका शुक्ला के नाम के अकाउंट में जाता था।


वार्डन पर गिरी गाज, डीसी अभी सुरक्षित
कथित अनामिका शुक्ला प्रकरण में विभाग ने संबंधित विद्यालय की वार्डन की संविदा समाप्त कर दी है। जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा) पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।


प्रकरण की जांच के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र कुमार सिंह द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी। बीएसए ने बताया कि जांच समिति ने पाया कि वार्डन ललिता देवी ने राजकीय कार्यों के प्रति लापरवाही बरती।
गड़बड़ियों से विभाग को अवगत नहीं कराया। इसके अलावा वार्डन ने बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश के बावजूद दस जून तक अपना स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। ऐसे में समिति की संस्तुति पर उनकी संविदा समाप्त कर दी है। उधर, जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा) आदित्य नारायण शर्मा ने दस जून को अपना स्पष्टीकरण दे दिया था। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखने की तैयारी है।


सहारनपुर में नौकरी करने वाली महिला का नाम भावना निकलकर सामने आया है। बाकी हकीकत क्या है, यह पुलिस की जांच में सामने आएगा। मगर वार्डन और अन्य संबंधित ने अनेक चीजों को विभाग से छिपाया। इसी के चलते वार्डन की संविदा समाप्त की गई है। जिला समन्वयक पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा। - रमेंद्र कुमार सिंह, बीएसए


मैं अकेली जिम्मेदार नहीं: वार्डन
वार्डन ललिता शर्मा का कहना है कि विभागीय अधिकारियों ने उन्हें बलि का बकरा बनाया है। गलती केवल उनकी नहीं है। चयन समिति भी इसके लिए जिम्मेदार है। जो नियुक्ति पत्र विद्यालय में आया था, उस पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला बालिका शिक्षा समन्वयक के हस्ताक्षर थे। अनामिका को भेजा गया नियुक्ति पत्र पता गलत होने की वजह से वापस आ गया था। इसके बावजूद उसे नियुक्ति अधिकारियों ने ही दी थी। 


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