लखनऊ जेल में गलत दवा देने से सवा सौ कैदी हुए बेहोश


लखनऊ।  राजधानी लखनऊ में सोमवार रात जिला जेल में गलत दवा खाने से करीब सवा सौ कैदियों की हालत बिगड़ गई। गर्दन, हाथ-पैरों में अकड़न के साथ कैदी बेहोश होकर गिरने लगे। बैरकों में यह नजारा देख अन्य कैदियों की चीख-पुकार सुनकर जेलकर्मियों ने बीमार कैदियों को आनन-फानन जेल अस्पताल में भर्ती करवाकर अधिकारियों को सूचना दी। भर्ती 30 कैदियों में छह की हालत नाजुक बताई जा रही है। जेल प्रशासन ने मुख्यालय के अधिकारियों से मामला छिपाए रखा। दवा वितरण में लापरवाही बरतने पर फार्मासिस्ट से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी ने बताया कि जेल अधीक्षक आशीष तिवारी से रिपोर्ट मांगी गई है।


जिला जेल की सर्किल नंबर-3 के हाता नंबर 11 व 15 के कैदियों ने सोमवार रात खाना खाने के बाद दवा ली। इसके बाद अचानक सभी की तबीयत बिगड़ने लगी। यह सिलसिला रातभर चला और बीमार मरीजों की संख्या सवा सौ पहुंच गई। जेल प्रशासन ने इन्हें एंबुलेंस व स्ट्रेचर से जेल अस्पताल में शिफ्ट कराया। उधर, जेल प्रशासन के मुताबिक, दो दर्जन कैदियों को तबीयत बिगड़ने पर जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद इनकी स्थिति सामान्य है।
सूत्रों की मानें तो भर्ती 30 कैदियों में छह की हालत नाजुक है। इमरजेंसी की स्थिति में एंबुलेंस तैयार रखी गई हैं। एंबुलेंस चालक को जेल में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं। जेल प्रशासन के मुताबिक, फार्मासिस्ट आशीष कुमार ने कैदियों को एंटी एलर्जी की सिट्रीजन की जगह हेलोपेरिडोल दवा दे दी। इससे कैदियों को तबीयत बिगड़ गई। किसी को जान का खतरा नहीं है।
12 घंटे तक दबाए रखा मामला


सर्किल जेलर व जेल डॉक्टर ने 12 घंटे तक मामला दबाए रखा। फार्मासिस्ट आशीष ने सोमवार शाम बैरकों में दवा बांटी। सूत्रों के मुताबिक, दवा खाने के बाद रात में कैदियों की तबीयत बिगड़ने के मामले आने शुरू हो गए। जेल अस्पताल के डॉ. एनके वर्मा व फार्मासिस्ट कैदियों का रातभर इलाज करते रहे और आलाधिकारियों को जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा। मंगलवार सुबह तक बीमार कैदियों का आंकड़ा सवा सौ पहुंच गया। यही नहीं, जेल प्रशासन ने अफसरों को महज 22 कैदियों के मामूली बीमार होने की ही सूचना दी।
पेय पदार्थ से भी बीमार होने की आशंका
अचानक इतनी संख्या में कैदियों के बीमार पड़ने के पीछे कैंटीन में बिकने वाले पेय पदार्थ को भी कारण माना जा रहा है। जेल प्रशासन मामले की पड़ताल कर रहा है।


चार की तैनाती पर एक डॉक्टर के भरोसे 3500 कैदी


3540 कैदियों की क्षमता वाली जेल में करीब 3500 कैदी हैं। इनके इलाज को जेल अस्पताल में चार चिकित्सक हैं, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर एक डॉक्टर ही 24 घंटे रहता है। एक ही डॉक्टर 24 घंटे ड्यूटी करता है और फिर तीन दिन तक नहीं आता। वहीं, जेल नियमों के मुताबिक, डॉक्टर को छह घंटे नियमित और दो घंटे आनकॉल ड्यूटी का नियम है। ऐसे में एक डॉक्टर अकेले जेल आने वाले नए कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण से लेकर ओपीडी में मरीजों को देखने के अलावा महिला सर्किल में भी मरीज देखता है। जेल लाइन में डॉक्टरों के रहने के लिए आवास हैं, बावजूद कोई डॉक्टर जेल लाइन में नहीं रुकता।


सभी बंदियों का स्वास्थ्य सामान्य


दवा खाने से कैदियों के शरीर में ऐंठन, घबराहट और कंपकंपी आदि लक्षण सामने आए थे। जिन्हें दवा दी गई थी उनकी स्क्रीनिंग कराके प्रभावित बंदियों को जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भर्ती सभी बंदियों का स्वास्थ्य सामान्य है। - आशीष तिवारी, जेल अधीक्षक की जा रही पड़ताल


एंटी एलर्जी के लिए कैदियों को सिट्रीजिन दी जानी थी। फार्मासिस्ट ने इसके बजाय हेलोपेरिडोल दवा दे दी। यह हाई पावर दवा होती है, नतीजतन कैदियों के हाथ पैर ऐंठना, नींद व बेहोशी होने लगी। इस पर सभी को जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले की पड़ताल की जा रही है। - डॉ. शरद कुलश्रेष्ठ, अपर महानिरीक्षक, कारागार


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