मनमाने तरीके से लिया गया PAC कर्मियों को रिवर्ट करने का फैसला


पीएसी से सिविल पुलिस में स्थानांतरित होकर प्रोन्नति पा चुके लगभग एक हजार कर्मियों को पदावनत करने का निर्णय यह जानने के बाद भी अमल में लाया गया कि यह शासनादेशों के विपरीत है। निर्णय चूंकि तत्कालीन डीजीपी ने स्थापना शाखा के आला अधिकारियों से विमर्श करके लिया था, लिहाजा मौजूदा अफसर इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का नाम लेने से कतरा रहे हैं।


शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बगैर शासन की सहमति के किए गए इस फैसले पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर इसकी रिपोर्ट शासन को देने को कहा था। उन्होंने डीजीपी को ऐसे सभी कर्मियों की नियमानुसार पदोन्नति सुनिश्चित कराने के भी निर्देश दिए थे।
हैरत की बात यह है कि जब तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने पीएसी कर्मियों को पदावनत कर सिविल पुलिस से वापस पीएसी भेजे जाने का विचार किया था, तब 6 नवंबर 2019 को एडीजी पीएसी विनोद कुमार सिंह ने उन्हें पत्र भेजकर कहा था कि ऐसा करना पूर्व में जारी शासनादेशों के विपरीत होगा। पीएसी में आरक्षी पद पर वापस आने पर यदि वरिष्ठ होंगे तो इन्हें पीएसी में पदोन्नत करना होगा और पदोन्नति के बाद इनकी वरिष्ठता निर्धारण में समस्या आएगी। इस गोपनीय पत्र में साफ कहा गया था कि इस प्रक्रिया से विभाग के प्रति अविश्वास की भावना जागृत होगी तथा असंतोष उत्पन्न होगा। लिहाजा पीएसी से जिला पुलिस में स्थानांतरित आरक्षियों को पुन: पीएसी में स्थानांतरित किया जाना विभागीय हित में नहीं होगा। लेकिन तत्कालीन डीजीपी के समय लिए गए फैसले पर अब अमल किया गया और मामले ने तूल पकड़ लिया।
इन शासनादेशों का किया गया उल्लंघन
1973 में पीएसी व पुलिस का विद्रोह हुआ था। इसके बाद केंद्र सरकार में आपात बैठक हुई । इसमें यूपी के तत्कालीन गृह सचिव आरके कौल व तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक एके दास शामिल हुए थे। इसके बाद पीएसी के पुनर्गठन की योजना बनी थी। इसके लिए अधिकारियों का एक पैनल बनाकर अध्ययन दल गठित किया गया था। अध्ययन दल की रिपोर्ट के आधार पर 12 अक्तूबर 1973 को शासनादेश जारी कर उत्तर प्रदेश प्रादेशिक सशस्त्र कांस्टेबुलरी का पुनर्गठन किया गया।


इस शासनादेश में प्रादेशिक सशस्त्र कांस्टेबुलरी से जिला कार्यकारी बल तथा जिला कार्यकारी बल से प्रादेशिक सशस्त्र कांस्टेबुलरी में कर्मचारियों की अदला-बदली की व्यवस्था की गई है। शासनादेश की इस व्यवस्था के तहत पीएसी से जिला पुलिस में स्थानांतरण की व्यवस्था अपनाई गई। इसके बाद 30 अक्तूबर 2015 को जो शासनादेश जारी किया गया, उसमें मुख्य आरक्षी सशस्त्र पुलिस की रिक्तियों को मुख्य आरक्षी पीएसी से स्थानांतरण के आधार पर भरे जाने की व्यवस्था की गई।


इसमें सिविल पुलिस व सशस्त्र पुलिस के आरक्षियों को मुख्य आरक्षी नागरिक पुलिस के पद पर प्रोन्नति के लिए समान रूप से पात्र होने के आदेश भी दिए गए थे। वहीं 12 जनवरी 2018 को जारी शासनादेश में आरक्षी सशस्त्र पुलिस की रिक्तियों को कतिपय शर्तों के साथ पीएसी से भरे जाने की व्यवस्था दी गई थी।


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