हालांकि गांव में काफी पुलिस बल तैनात है, फिर भी बिटिया के परिजन खुद को असुरक्षित मान रहे हैं। उनका कहना है कि आरोपी पक्ष की ओर से की जा रही पंचायतों से उन्हें डर लग रहा है। यदि सरकार उन्हें शहर में आवास दे देगी तो वे वहां जाकर रहने लगेंगे।
बिटिया के घर पुलिस अधिकारी लगातार वहां जा रहे हैं लेकिन उसके परिजन खुद को असुरक्षित मान रहे हैं।बिटिया के भाई का कहना है कि जिस तरह से आसपास गांवों में आरोपी पक्ष की बैठकें और पंचायतों हो रही हैं, इसकी उन्हें सूचना मिल रही है। इससे हम खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अगर शहर में आवास देती है तो वहां जाकर रहेंगे क्योंकि यहां गांव में रहना अब हमें ठीक नहीं लग रहा है। यहां भय का माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जांच जो भी हो, बस हमें न्याय मिलना चाहिए। हम तो यह चाहते हैं कि न्यायिक जांच ही हो। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे घर में हमारे परिवार के लोग ही रह रहे हैं, कोई बाहर का व्यक्ति नहीं रह रहा है। हमें कोई नहीं भड़का रहा।
बयान के लिए 12 को कोर्ट में बुलाया
बिटिया के परिजनों ने यह भी बताया कि हमारे प्रकरण की जांच के लिए न्यायिक अधिकारी आए थे। हमसे दस्तावेज देकर गए हैं। हमें तारीख दे गए हैं। हमें 12 अक्टूबर को लखनऊ बुलाया है। वहां न्यायालय में बयान दर्ज होंगे।