कोरोना संक्रमण काल के दौरान शुरू हुई खेल गतिविधियों को सकारात्मक बताते हुए खेल के मैदान में वापसी करके काफी खुश हूं : पूजा ढांडा


महज 16 साल की उम्र में यूथ ओलंपिक गेम्स (वर्ष 2010) में रजत पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती जगत को चौंकाने वाली पूजा ढांडा किसी पहचान की मोहताज नहीं है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान शुरू हुई खेल गतिविधियों को सकारात्मक बताते हुए दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि सात माह के लंबे गैप के बाद किसी भी खिलाड़ी के लिए मैट पर वापसी करना आसान नहीं होगा। सबकी तरह मैं भी खेल के मैदान में वापसी करके काफी खुश हूं और टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल करने के लिए चुनौतियों को पार पाना मेरा लक्ष्य होगा। अमर उजाला से खास बातचीत में स्टार खिलाड़ी ने कहा कि पिछले 10-12 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हूं। आने वाले समय में इसी अनुभव का लाभ उठाकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का प्रयास करूंगी। मेरे वजन (57 किग्रा) में कई युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। ऐसे में उनके बीच जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता।


अभी सिर्फ शुरुआत, बाद में कड़ी होगी ट्रेनिंग
आज ग्राउंड में उतरने का पहला दिन था। इसलिए मैंने बहुत अधिक जोर लगाने की बजाए केवल रनिंग और फिटनेस ट्रेनिंग पर ध्यान दिया। लंबे समय तक घर पर थी। अचानक से मैट पर उतरना आसान नहीं होगा। फिलहाल मेरा लक्ष्य अपने शरीर को फिट बनाना है, क्योंकि कुश्ती में पूरे शरीर का दमखम लगता है। कोशिश रहेगी कि कैंप के दौरान चोट से बचकर ट्रेनिंग की जाए ताकि भविष्य की तैयारियां मजबूत हो।
टोक्यो ओलंपिक में बढ़ेंगी भारत की पदक संख्या
पूजा ने कहा कि भारतीय महिला कुश्ती में बदलाव की बयार बह रही है। गीता फोगाट के बाद साक्षी मलिक ने ओलंपिक पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। वर्तमान में विनेश टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं। आने वाले समय में कुछ और वर्गों में भारतीय महिलाएं ओलंपिक टिकट हासिल कर सकती हैं। उम्मीद है कि इस बार भारत टोक्यो में अधिक पदक जीतने में कामयाब रहेगा।


बेहतरीन माहौल में शुरू हुई ट्रेनिंग
लखनऊ में सालों से महिला कुश्ती टीम के कैंप आयोजित होते रहे है, लेकिन इस बार तो हर बात ही निराली है। दरअसल, कोरोना के इस मुश्किल वक्त में साई प्रबंधन हम खिलाड़ियों का बहुत ख्याल रख रहा है। एकांतवास के दौरान हमें वे सारी सुविधाएं दी गई, जो एक फाइव स्टार होटल में दी जाती है। खाने से लेकर हमारी ट्रेनिंग का बेहतरीन माहौल तैयार किया गया है। सच में अगर ऐसी ही सुविधाएं हम खिलाड़ियों को आगे भी मिलती रहे तो निश्चित रूप से भारतीय महिला पहलवान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतेंगी।


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