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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक को इमामबाड़ा गुफरानमआब में बुधवार को छलकते आंसुओं बीच सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी जनाजे की नमाज यूनिटी कॉलेज में शिया समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु आयतुल्लाह अली खामेनाई के भारत के प्रतिनिधि आयतुल्लाह मेहंदी मेहंदीपुर ने अदा कराई। नमाज-ए-जनाजा में हजारों की संख्या में मौलाना के चाहने वाले शामिल हुए। इसके बाद हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर के सामने टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान रहमानी ने दोबारा नमाज-ए-जनाजा अदा कराई। मौलाना की अंतिम यात्रा में शिया-सुन्नी सहित सभी धर्मों के सैकड़ों लोगों ने शामिल होकर नम आंखों से खिराज-ए-अकीदत पेश की।
मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में इलाज के दौरान मंगलवार रात 10:00 बजे निधन हो गया था। वह 83 साल के थे। उन्हें निमोनिया था और सांस लेने में परेशानी हो रही थी। मौलाना के इंतकाल की खबर फैलते ही उनके आखरी दीदार के लिए रात से ही एरा मेडिकल कॉलेज पहुंचने वालों की भीड़ जुटने लगी थी। पूरी रात अस्पताल के बाहर चाहने वालों का जमावड़ा लगा रहा। सुबह उनके जनाजे को तहसीनगंज स्थित यूनिटी कॉलेज लाया गया, जहां हजारों की तादाद में लोगों की भीड़ जुटने लगी। चाहने वालों ने कॉलेज पहुंकर नम आंखों से मौलाना को पुरसा पेश किया। इस दौरान प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा सहित ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मनकामेश्वर मंदिर के महंत देव्यागिरी सहित हर धर्म के लोगों ने डॉ. कल्बे सादिक को नजराना-ए-अकीदत पेश किया। उन्होंने मौलाना के परिवार से मुलाकात कर अपने गम का इजहार किया और उनके बेटों को ढांढस बंधाया।
इसके बाद यूनिटी कॉलेज से मौलाना कल्बे सादिक का जनाजा अपने अंतिम सफर के लिए रवाना हुआ। अलम मुबारक के साये में मौलाना का जनाजा हजारों लोगों खासकर महिलाएं व बच्चों के जनसैलाब के बीच छोटा इमामबाड़ा पहुंचा। इसके बाद जनाजे को इमामबाड़े में ले जाया गया, फिर जनाजा हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर से पीर बुखारा होता हुआ कोनेश्वर चौराहे पहुंचा, जहां से चौक चौराहे, चरक चौराहा होता हुआ चौक सब्जी मंडी होता हुआ इमामबाड़ा गुफरानमआब पहुंचा। इमामबाड़े में आयतुल्लाह मेहंदी मेहंदवीपुर ने मजलिस को खिताब किया। आयतुल्लाह ने फारसी में मजलिस पढ़ी, जिसको दिल्ली से आए मौलाना तकी ने उर्दू में अनुवाद किया। मजलिस आयतुल्लाह ने डॉ. कल्बे सादिक की वसीयत बयां करते हुए जब मजलिस पढ़ी, तो उनके चाहने वालों के रोने की सदाएं बुलंद हो उठीं।
चचा की तालीमी खिदमात को नहीं भुलाया जा सकता : मौलाना कल्बे जवाद
मजलिसे उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी अपने चचा की तदफीन में शामिल नहीं हो सके। वह कश्मीर में थे। तदफीन के बाद इमामबाड़ा पहुंचा मौलाना ने मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने कहा कि हमारे मुहतरम चचा का निधन न केवल परिवार के लिए बल्कि पुरी कौम के लिए बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मेरे चचा मौलाना कल्बे सादिक नकवी एक तारीख़ साज इंसान थे। लोगों के लिए शिक्षा और सेवा के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने वर्तमान शताब्दी को अपनी सेवाओं से प्रभावित किया है और युवा पीढ़ी पर उनकी शैक्षिक उपलब्धियों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि मेरे चचा मौलाना कल्बे सादिक के कारनामे बेमिसाल हैं और उन्हें सुरक्षित रखना और उनके शैक्षिक मिशन को और विकसित करना आवश्यक है। मौलाना ने कहा कि चचा मोहतरम के जनाजे में इतनी बड़ी भीड़ का आना उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। मजलिस में मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी, मौलाना मोहसिन तकवी, मौलाना नईम अब्बास नोगनवी, मौलाना निसार अहमद जैनपुरी, मौलाना तकी हैदर नकवी, मौलाना सफदर हुसैन जौनपुरी, मौलाना तसनीम मेहदी जैदपुरी, मौलाना रजा हुसैन आदि मौलाना शामिल रहे।
पूरे रास्ते किया जनाजे का इंतजार
डॉ. कल्बे सादिक के जनाजे को कांधा देने के साथ आखिरी बार दीदार करने की चाहत में पूरे रास्ते चाहने वालों का हुजूम जमा रहा। लोग पहले से ही सड़क किनारे खड़े होकर जनाजे के आने का इंतजार कर रहे थे। हुसैनाबाद रोड से लेकर चौक तक और चरक चौराहे से लेकर सुभाष मार्ग तक भीड़ एकत्र रही। जनाजे को करीब आता देख हर कोई अंतिम विदाई देने के लिए ताबूत को कंधा देने को बेकरार हो उठा। भीड़ में पुरुषों के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे रोते हुए आगे बढ़ रहे थे।
पर्यटकों के लिए बंद रही भूलभुलैया
मौलाना के इंतकाल के गम में हुसैनाबाद ट्रस्ट ने अपनी सभी ऐतिहासिक इमारतें बंद रखी। बुधवार को बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा व पिक्चर गैलरी पर्यटकों के लिए बंद रहीं। ट्रस्ट के सचिव व नगर मजिस्ट्रेट सुशील प्रताप सिंह ने शोक सभा का आयोजन कर मौलाना को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर ट्रस्ट के अधिकारी व कर्मचारी सहित इमामबाड़े के गाइड भी मौजूद रहे।
गम में बंद रहे बाजार
डॉ. कल्बे सादिक के इंतकाल की खबर के बाद पुराने शहर के कई बाजार बुधवार को बंद रहे। एक ओर जहां चौक व नक्खास की दुकानें बंद रहीं, तो वहीं अकबरी गेट व बिल्लौचपुरा स्थित मीट कारोबारियों ने भी अपना कारोबार बंद रखा। हर कोई उनके परिवार के गम में शामिल था। कुरैश समाज के नेता शहाबउद्दीन कुरैशी ने शोक सभा का आयोजन कर मौलाना को पुरसा पेश किया।