लखनऊ विश्वविद्यालय जल्द ही नैनो साइंस और मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स में शोध की शुरुआत करेगा। इन विधाओं में शोध कर लविवि प्रदेश के सरकारी संस्थानों के सामने नजीर पेश करेगा। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स एंड इंफेक्शियस डिजीज और इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस में अन्य पाठ्यक्रम के बजाय पीएचडी से शुरुआत होगी।
इसके बाद ही नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा बनेगी। लविवि में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स एंड इंफेक्शियस डिजीज और इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस के नाम से दो नए संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। लविवि में फिलहाल स्थापित ज्यादातर संस्थान में डिप्लोमा, परास्नातक और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित होते हैं।
नैनो साइंस और मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स एंड इंफेक्शियस डिजीज विज्ञान की नई विधाएं हैं, इनमें अभी काफी काम होना बाकी है। इनमें किसी एक विभाग के बजाय विज्ञान के लगभग सभी विभागों की भागीदारी होती है। इसलिए लविवि ने इन संस्थानों की बागडोर डीन के हाथ में दी।
डीन के साथ यहां एक-एक कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति भी होगी। कुलपति के अनुसार अभी तक यह विवि में परंपरागत पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जाता रहा है। अब आधुनिक शिक्षा की ओर बढ़ना होगा। इसकी शुरुआत सेंटर कल्चर की स्थापना करके की जा रही है।
रिन्यूएबल एनर्जी में भी पीएचडी
लविवि में इस समय जूलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स, स्टैट्स, बायोस्टैट्स और बायोटेक्नोलॉजी जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इन विषयों को एक साथ जोड़कर सेंटर की स्थापना की जा रही है। सेंटर स्थापना का मकसद नए पाठ्यक्रमों के संचालन के साथ ही उन्नत शोध है। साथ ही विद्यार्थियों को कॅरियर की अच्छी संभावना वाले विषयों को पढ़ने का मौका भी मिलेगा।
लविवि में इस समय रिन्यूएबल एनर्जी के रूप में एकमात्र सेंटर है। इस सेंटर में बीवोक रिन्यूएबल एनर्जी पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। यह सेंटर लविवि के न्यू कैंपस में है। लविवि इसमें भी पीएचडी की शुरुआत करेगा।
शोध में विज्ञान संकाय का रिकॉर्ड बेहतर
विश्वविद्यालय में अन्य संकायों के मुकाबले विज्ञान संकाय की स्थिति काफी बेहतर है। संकाय के शोध पत्र विश्व स्तर पर माने जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय जर्नल में भी हर साल यहां से काफी शोधपत्र प्रकाशित होते हैं। इनका इंपैक्ट फैक्टर भी काफी अच्छा है। इसको देखते हुए विज्ञान संकाय में ही सेंटर स्थापित करने की शुरुआत की गई है।
शिक्षकों की व्यवस्था भी चुनौती
लविवि नए सेंटर में पीएचडी की शुरुआत करेगा, इसके पीछे एक अन्य वजह भी है। असल में नई विधा होने की वजह से इनका सिलेबस तैयार करना और शिक्षकों की व्यवस्था भी बड़ी चुनौती होगी। पीएचडी से शुरुआत होने पर विवि को रिसर्च स्कॉलर मिल जाएंगे। इसके बाद लविवि यह तय कर पाएगा कि किस तरह इसके सिलेबस का निर्माण किया जाए।
मिलेंगे कॅरियर के बेहतर विकल्प
लविवि में शोध को बढ़ावा देने के लिए सेंटर कल्चर शुरू किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मॉलीक्यूलर जेनेटिक्स और इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस की स्थापना हो चुकी है। इनमें सबसे पहले पीएचडी की शुरुआत होगी उसके बाद ही अन्य पाठ्यक्रम पर विचार किया जाएगा। शोध की गुणवत्ता बढ़ने के साथ ही इससे विद्यार्थियों के लिए कॅरियर के विकल्प भी खुलेंगे। -प्रो. आलोक कुमार राय कुलपति, लविवि