त्रिस्तरीय पंचायतों के वार्डों के आरक्षण से पहले अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या का सत्यापन कराया जाएगा


 त्रिस्तरीय पंचायतों के वार्डों के आरक्षण से पहले अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या का सत्यापन कराया जाएगा। 2015 में आबादी नहीं होने के कारण एसटी के लिए आरक्षित किए गए ग्राम प्रधान के 35 पद रिक्त रह गए थे।


पंचायत चुनावों में विभिन्न पदों एवं स्थानों का आरक्षण वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। वर्ष 2015 में इन्हीं आंकड़ों के आधार पर 336 ग्राम प्रधान पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए गए थे।


ग्राम पंचायतों में झांसी में 2, कुशीनगर में 17, सिद्धार्थनगर में 11, महाराजगंज में 3 और उन्नाव में 2 ग्राम पंचायतों में मौके पर अनुसूचित जनजाति की आबादी नहीं मिली थी। लिहाजा ये पद रिक्त रह गए थे। इन ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाया था।

निदेशक, पंचायतीराज किंजल सिंह ने जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि अमरोहा, बरेली, बिजनौर, चंदौली, फर्रूखाबाद, गौतमबुद्धनगर, कासगंज, कौशांबी, मेरठ, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर और हमीरपुर जिलों को छोड़कर अन्य जनपदों में वर्ष 2011 की जनगणना में अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले गांवों में सत्यापन करा लें कि एसटी परिवार वास्तव में रह भी रहे हैं या नहीं।


इसके लिए उन्होंने पंचायतीराज और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि यदि किसी गांव में अनुसूचित जाति की आबादी नहीं मिले तो तत्काल पंचायतीराज निदेशालय को जानकारी दी जाए।


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