नए कृषि कानून के खिलाफ देश के अन्न दाताओं का आंदोलन
भास्कर लिंगम

राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में किसानों का बहुत बड़ा योगदान है। वे राष्ट्र के सबसे समर्पित और मेहनती लोग हैं। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित देश है। पिछले कुछ दिनों से किसान सितंबर में संसद द्वारा पारित नए किसान कानून का विरोध कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान संघों का कहना है कि सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देंगे। किसानों को डर है कि नए किसान कानून के कारण उन्हें अपनी फसलों के लिए एक सुनिश्चित मूल्य नहीं मिलेगा। किसान द्वारा प्रमुख मांग उन तीन कानूनों को वापस लेना है जो उनकी फसलों की बिक्री को रोकते हैं। संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं, केंद्र सरकार का यहाँ मन्ना है के तीनो बिल जो पास किया गया है वह किसानो के भले के लिए है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम मैं मन की बात में कहा की नए किसान कानून 2020 के तहत, किसानों के सभी बकाया खरीद के तीन दिनों के भीतर साफ कर दिए जाने चाहिए, जो विफल होने पर, किसान शिकायत दर्ज कर सकता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यहाँ कहना है कि नए किसान कानुनों में पुरानी प्रणाली को नहीं बदलते हुए नए विकल्पों को शामिल किया गया है। वही किसानो का यहाँ मन्ना है के नए किसान कानून 2020 को एपीएमसी को खत्म करने के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने यहाँ लिखित आश्वासन देने को तैयार थे के वे मौजूदा एमएसपी प्रणाली को जारी रखेंगे। वही किसानो का यहाँ कहना है के केंद्र सरकार से लिखित आश्वासन प्राप्त करना कानूनी दस्तावेज नहीं है और इसकी कोई गारंटी नहीं है। किसानो और सरकार में अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी लेकिन इन बातचीत के बीच कोई उपाय निकलता नज़र नहीं आ रहा। किसान अपने फैसले पर अडिग हैं और नए किसान कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।