आशाओं को भी मिलना चाहिए क्रोना महामारी में बढ़ कर वेतन

कौशाम्बी। आखिर कार स्वस्थ विभाग से जुड़ी आशाओं और आशा संगिनियों का क्यों नही बढ़ा वेतन दिनो रात डॉक्टरों का साथ देने वाली आशाओं को आखिर कार पीछे क्यों छोड़ दिया जाता है सरकार को सवालों के घेरे में खड़े कर देने वाला यह सवाल है


क्या इनका परिवार नही है क्या इनको पैसे की ज़रूरत नही है इस पर सरकार को विचार करने की जरूरत है यहां तक की आशाओं को गांव - गांव लगाकर उनसे बड़े बड़े काम लिए जाते है मेंन काम तो आशा ही करती है लोगों को जगरूक करती है स्वास्थ्य संबंधित जानकारी भी देना आशाओं का काम होता है आखिरकार डॉक्टरों की दांया हाँथ कहे जाने वाली इन आशाओं के साथ क्यों होता है सौतेला ब्यवहार
 
सरकार ने कोरोना में ड्यूटी करने वाले सभी कर्मियों का भुगतान दो गुना कर दिया है स्वास्थ्य कर्मियों का बीमा भी सरकार ने कर दिया है तो फिर आशाओं और आशा संगिनियों को कितना भुगतान किया जायेगा? इनके पास भी परिवार और बच्चे हैं !जिंदगी सबकी अनमोल है, स्वास्थ्य विभाग को इस विषय में भी विचार कर आशाओं और आशा संगनियो का बेतन बढ़ाना चाहिए साथ ही उनका भी बीमा सरकार को कराना चाहिए।