प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 रूपेश कुमार की अध्यक्षता में कल सायंकाल कैम्प कार्यालय के सभागार में कोरोना संक्रमण के मेडिकल इंफेक्शन को रोकने हेतु निजी चिकित्सालयों के डाक्टरों एवं आईएमए के चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रोटोकाल के अनुपालन के सम्बन्ध में प्रशिक्षण देने के लिये बैठक आयोजित की गयी जिसमें अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) शत्रोहन वैश्य, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 अरविन्द कुमार श्रीवास्तव, जिला सूचना अधिकारी विजय कुमार सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में डब्लू0एच0ओ0 के मण्डलीय कन्सलनेन्ट डा0 हामिद द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। बैठक में जिलाधिकारी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाव के सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने ओ0पी0डी0/इमरजेन्सी एवं स्क्रीनिंग की व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा कि ओ0पी0डी0/इमरजेन्सी चोटिल एवं सभी मरीजों को जो चिकित्सालय में आयेगे सबको स्क्रीन किया जायेगा तथा स्क्रीनिंग करने के उपरान्त कोई कोरोना संदिग्ध होता है जैसे कि पिछले 14 दिन में कोई विदेश यात्रा, पिछले 14 दिन में कोविड पोजिटिव के सम्पर्क में, कोविड पोजिटिव परिवार के लोगों के सम्पर्क में, सिम्टोमेटिक अथवा एसिम्टोमेटिक हेल्थ पर्सन जो भी स्क्रीनिंग के संदिग्ध केस होगें उसके पर्चे पर लाल निशान लगाया जायेगा, उसको अलग कोविड संदिग्ध स्थान पर रखा जायेगा एवं जांच करायी जायेगी। जांच निगेटिव आने पर उसे अपने इलाज के लिये भेजा जायेगा और पॉजिटिव आने पर कोविड सेन्टर भेजा जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि महामारी अधिनियम-1897 की धारा 188 के अन्तर्गत किसी भी निजी अथवा सरकारी चिकित्सालय में कोविड-19 संदिग्ध/मरीज होने पर उसे मुख्य चिकित्साधिकारी/जिला प्रशासन को उसकी जानकारी देना अनिवार्य है अन्यथा जानकारी न दिये जाने पर महामारी अधिनियम के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि सभी चिकित्सालय कर्मिकों को इंफेक्शन प्रिवेन्शन एण्ड कन्ट्रोल का प्रशिक्षण दिया जाये जिससे कोविड-19 के इंफेक्शन को चिकित्सालय के कर्मियों व अन्य लोगों में फैलने से रोका जा सके इससे चिकित्सालय के स्टाफ, मरीज व कम्युनिटी में इंफेक्शन को फैलने से बचाया जा सके इसमें शुरूआत में ही मरीज को पहचान कर अलग कर लेना है जिससे कि संक्रमण दूसरे मरीजों में न फैलने पाये। जिलाधिकारी ने कहा कि चिकित्सालय कर्मियों को सावधानी ध्यान में रखकर कार्य करना है। हैण्ड हाईजीन के सम्बन्ध में बताया गया कि हमें हाथ को कैसे और कब-कब धोना है। इसमें साबुन से 40 से 60 सेकेण्ड तक हॉथ को धुलना है। पी0पी0ई के उपयोग के सम्बन्ध में बताया गया कि इसमें कैप, गॉगल, मास्क, ऐप्रेन, ग्लव्स व शू कवर का प्रयोग करते हुये चिकित्सालय में कार्य करना है जिससे स्वयं को इंफेक्शन होने से बचाया जा सके। रेसिपेरेटरी हाईजीन एण्ड कफ एटीक्वेट के सम्बन्ध में बताया गया कि इसमें सम्भावित मरीज/विजिटर को मास्क पहनना अनिवार्य है जिससे कि उसके द्वारा छींकने या खांसने पर निकलने वाले डिस्चार्ज से संक्रमण न फैलने पाये। छींकने व खांसने पर टीसू पेपर का उपयोग करें और उसे पीले कलर की बिन में डाल दें। जिलाधिकारी ने कहा कि जहां भी चिकित्सालय कर्मी कार्य कर रह है उस स्थान को 1 प्रतिशत हाइपोक्लोराइड से हर 2-4 घंटे पर पोछना है या सेनीटाइज करना है। कोविड-19 के मरीज के चद्दरों को जो कि उसके किसी बाडी फ्ल्यूड व ब्लड से संक्रमित हो चुका है को डबल यलो कलर की पैकेट में रखना चाहिये। संक्रमित न होने पर चद्दरों को 0.5 प्रतिशत हाइपोक्लोराइड सल्यूशन में 30 मिनट तक रखें फिर उसे 60 से 70 डिग्री सेन्टीग्रेट डिटर्जेन्ट पानी में 30 मिनट तक धोयें।
डिलेवरी/सीजर व अन्य आपरेशन के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने बताया कि प्रत्येक ए0एन0सी0 में डिलीवीर से पूर्व या सम्भावित सीजर के एक सप्ताह पूर्व कोविड-19 की जांच करा ली जाये एवं जांच निगेटिव आने पर सामान्य प्रसव कक्ष व सामान्य ओ0टी0 में किया जायेगा और जॉच पाजिटिव आने पर कोविड-19 चिन्हित ओ0टी0/प्रसव कक्ष में कराया जाये। सभी प्रकार के इंफेक्शन प्रिवेन्शन व कन्ट्रोल प्रोटोकॉल का अनुपालन किया जाये, यथासम्भव हो तो इलेक्टिव सर्जरी न की जाये। ब्लड डोनेशन स्क्रीनिंग करने के उपरान्त ही कराया जाये और डायलसिस भी कोविड-19 की जांच के बाद कराया जाये। डेड बॉडी डिस्पोजल के सम्बन्ध में बताया गया कि जहां तक सम्भव हो शव का पोस्टमार्टम न कराया जाये और अगर जरूरी हो तो अत्यधिक सावधानी तथा इंफेक्शन प्रिवेन्शन प्रोटोकॉल के साथ किया जाये। बायो वेस्ट मैनेजमेंट के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के लिये उपयोग की जाने वाली बिन पर कोविड-19 का लेबल होना चाहिये तथा डबल लेयर बैक का प्रयोग होना चाहिये जिससे वेस्ट को लीक होने से बचाया जा सके। जिलाधिकारी ने बताया कि यलो कलर में समस्त पी0पी0ई0 एवं डिस्पोजेबल डालना है, लाल कलर में गॉगल्स, रिसाइकेबल मैटैरियल्स, कोरेंटाइन लोगों के असंक्रमित चादर इत्यादि डालने हैं, नीले कलर में कॉच के सामान जैसे कोरेंटाइन फेसिलिटी के ट्यूबलाइट्स, एल0ई0डी0 इत्यादि तथा सफेद पंक्चरप्रूफ कंटेनर में नुकीले धातुओं का उपयोग में लाया जाये। कोविड-19 के बायो वेस्ट को अलग ऐ चिन्हित स्थान पर रखना है तथा उपयोग की गयी बकेट व ट्राली को 1 प्रतिशत हाइपोक्लोराइड सल्यूशन से साफ करना है। डेथ ऑडिट के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने बताया कि मेडिकल कालेज के अध्यक्षता में कोविड-19 समिति गठित की गयी है जिसमें संस्था के हेड अध्यक्ष होगें तथा फारेंसिक मेडिसिन एनीस्थीसिया के विभागाध्यक्ष सदस्य होगें तथा मुख्य चिकित्साधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में डा0 एस0सी0एल0 द्विवेदी मोबाइल नम्बर 9415250283 सदस्य होगें। डेथ ऑडिट में गठित कोविड-19 समिति मृत्यु के सम्भावित कारणों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी जिसमें डाक्यूमेन्टेशन आवश्यक है जिसकी आवश्यकता इसलिये है ये सभी डाक्यूमेंट सुरक्षित रखे जायेगें ताकि मृत से सम्बन्धित किसी भी न्यायिक प्रकरण, बीमा सम्बन्धित व आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
अन्त में जिलाधिकारी ने कहा कि मेडिकल इंफेक्शन को प्रत्येक दशा में रोकना है इसमें तनिक भी लापरवाही से स्वयं भी डाक्टर एवं उनका स्टाफ तथा आने वाले मरीज भी इससे प्रभावित हो सकते है इसलिये निजी अस्पताल में भी सभी स्टाफ को मास्क लगाना और सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराना अनिवार्य है।
कोरोना संक्रमण के मेडिकल इंफेक्शन को रोकने हेतु जिलाधिकारी ने निजी चिकित्सालयों के डाक्टरों एवं आईएमए के चिकित्सकों के साथ की बैठक