जब मजबूत लॉकडाउन करने का समय आया तो खोल दिया लॉकडाउन


उल्टी रणनीति पर चली सरकार, समय से पहले लगाया लॉकडाउन
अब गांव, तहसील और जिले में मिल रहे हैं संक्रमित
देश के कई हिस्से में समुदायों में फैला संक्रमण
दो सप्ताह बाद दिल्ली में तेजी से बढ़ेगी संख्या
अब तो संक्रमितों की जांच और इलाज पर देना होगा विशेष ध्यान
विस्तार
कोविड-19 के संक्रमण देश के कुछ हिस्सों में समुदायों में फैल चुका है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आनंद कृष्णन का कहना है कि अब केवल एक उपाय बचा है। सरकार इलाज, जांच की व्यवस्था में जितना अधिक हो सके विस्तार करे, सजग रहे। डॉ कृष्णन का कहना है कि यह समय कोविड-19 संक्रमण के उपाय को लेकर सरकार की आलोचना का नहीं है। इसका पोस्टमार्टम बाद में किया जाएगा। उनका कहना है कि समय और चुनौती दोनों गंभीर है। विश्वास है कि इस दिशा में सरकार योजना बनाकर काम कर रही है।


मजबूत लॉकडाउन लगने का समय तो अब आया है
डॉ कृष्णन लॉकडाउन की पॉलिसी पर कहते हैं यह तो ठीक है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका, समय दोनों ठीक नहीं थे। केन्द्र सरकार को शुरू में हल्की प्रकृति के लॉकडाऊन को प्रयोग में लाना चाहिए था। इसके बाद धीरे-धीरे लॉकडाउन को टफ करते हुए इसके तीव्रता बढ़ानी थी। इस दौरान संक्रमण की जांच, इलाज के उपाय करने थे। डॉ अनंद के अनुसार ऐसा देखा गया है कि लॉकडाऊन हमेशा पीक के समय का आकलन करके कुछ पहले लगाना ठीक रहता है, क्योंकि आप लंबे समय तक सबकुछ बंद नहीं कर सकते। इस तरह से यह समय देश में कई राज्यों में तगड़ा लॉकडाउन (फेज-1 जैसा) लगाने है। उन्होंने कहा कि लेकिन अब सरकार सबकुछ खोल रही है तो अचानक ऐसा कर भी नहीं सकती। इसलिए भारत में लॉकडाउन यहां की बड़ी जनसंख्या, सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं तथा संसाधन को ध्यान में रखकर नहीं लगाया गया। हालांकि कोविड-19 का संक्रमण नया है, इलाज नहीं है, वायरस की प्रकृति नई है, इसलिए जल्दबाजी में इस तरह के निर्णय हो जाते हैं। ऐसे में कुछ कमियां भी रह जाती है।
आवाजाही बढ़ाएगा तो संक्रमण समुदाय तक फैलेगा ही
डॉ आनंद का कहना है कि संक्रमण वायरस जनित है। वायरस जनित संक्रमण एक होस्ट से दूसरे में प्रसारित होते हैं। शारीरिक दूरी तो प्रसार को सीमित रखने के लिए बनाई जाती है। कोविड-19 के संक्रमण में भी यह लागू होती है। सरकार ने इसको लेकर कोशिश की। जांच, इलाज, संसाधन को लेकर भी कोशिश की, कामयाब नहीं हुए। अब आवाजाही बढ़ चुकी है। आनेजाने के दरवाजे खुलते जा रहे हैं। अब इस दिशा में सरकार कुछ नहीं कर सकती। अब संक्रमण फैलेगा। इसके प्रसार को कम करने में अब लोगों की सतर्कता की कुछ कर सकती है। अब यह संक्रमण फैलेगा। कुछ सप्ताह में यह पीक पर आएगा और हर्ड इम्यूनिटी डेवलप होने के बाद मामलों की संख्या घटने लगेगी।


अब क्या करना चाहिए?
मेरे विचार में सरकार के पास इसका खाका है। वह इस पर काम कर रही है। केन्द्र सरकार इलाज की क्षमता बढ़ाने, बेड की संख्या बढ़ाने की योजना पर भी काम कर रही है। इस समय बस एक रास्ता है। जितना हो सके संक्रमितों का इलाज करते जाइए। पूरा फोकस इलाज का संसाधन बढ़ाने पर होना चाहिए। इसलिए निजी क्षेत्र के अस्पतालों से लेकर सभी इलाज के संसाधन पर पूरा फोकस किया जाना चाहिए।


कोविड-19 का इलाज करने वाले डॉक्टर कम हुए संक्रमित
डॉ आनंद का कहना है कि कोविड-19 का इलाज करने वाले चिकित्सकों, मेडिकल स्टाफ को लेकर गलत धारणा फैल रही है। उन्होंने कहा कि देश में और खासकर दिल्ली के अस्पतालों में भी कोविड-19 का इलाज करने वाले चिकित्सक इससे संक्रमित नहीं हुए हैं। यह संक्रमण उन चिकित्सकों में अधिक फैला जो अन्य मरीजों को देखते हैं। क्योंकि यह मर्ज कोविड-19 के संदेह या पुष्टि वाले मरीजों से डाक्टरों में नहीं आया। यह समाज से, समुदाय से सामान्य मर्ज का इलाज करने वाले चिकित्सकों में फैला।


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