मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए भरपूर नींद जरूरी, डॉक्टर ने दिए ये सुझाव


मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नींद पूरी होना जरूरी है। यदि आप बिना अलार्म के निर्धारित समय पर जाग जाते हैं तो आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर है। मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए नशा मुक्त होना भी जरूरी है। यह कहना है आईएमए के पदाधिकारी और मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीम सिद्दकी का। वह रविवार को अमर उजाला हेल्पलाइन में लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे। पेश हैं प्रमुख सवाल जो ज्यादातर लोगों ने पूछे।


सवालः हमें किसी तरह की बीमारी नहीं है। मेंटल फिटनेस के लिए क्या करें? - वैभव सिंह अलीगंज, सरफराज अहमद गोमती नगर
 मेंटल फिटनेस के लिए स्लीप साइकिल पूरी होना जरूरी है। इसके लिए अपने सोने की आदत को दुरुस्त रखें। रात को सोने और सुबह जागने का टाइम तय होना चाहिए। सुबह निर्धारित समय पर बिना अलार्म जाग जाते हैं तो यह मानसिक स्वास्थ्य का सकारात्मक पहलू है। औसतन 6 से 8 घंटे की नींद भरपूर मानी जाती है। यदि रात में कई बार नींद ब्रेक होती है तो समझें कि आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है। इसी तरह संतुलित भोजन जिसमें तेल युक्त चीजें कम हो। चीनी का प्रयोग कम करें और फल व हरी सब्जी का प्रयोग ज्यादा करें।
सवाल- परिवार के एक सदस्य किसी के घर में आने पर पूरे घर की धुलाई शुरू कर देती हैं। क्या यह मानसिक बीमारी है? - शहाबुद्दीन गोमती नगर, बलवंत सिंह आशियाना
जवाब- साफ-सफाई रखना अच्छी बात है। यदि कोई व्यक्ति ताला बंद करने के बाद बार-बार उसे चेक कर रहा है। बार-बार उसका मन हाथ धुलने को करता है अथवा घर में किसी व्यक्ति के आ जाने पर उसके जाते ही पूरे घर की धुलाई में जुट जाता है और यह प्रवृति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है तो यह मानसिक विकार की श्रेणी में आता है। इसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं। इसमें मस्तिष्क के न्यूरॉन्स का तालमेल गड़बड़ा जाता है। इसमें परिवार के अन्य सदस्यों को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए पीड़ित को समझाने का प्रयास करना चाहिए। कुछ दवाओं और काउंसलिंग के जरिए समस्या का समाधान हो जाता है।
रात में नींद कम आती है


सवाल- रिटायरमेंट के बाद घर में अकेले रहते हैं। कोरोना को लेकर बुरे ख्याल आते हैं। - शांति देवी आशियाना, मोहम्मद फाजिल अलीगंज
जवाब- कोराना के नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान न दें। इससे मृत्यु दर काफी कम है। जो लोग चपेट में आ रहे हैं वह जल्दी ठीक भी हो जाते हैं। इसलिए डरें नहीं, यह सोचें कि जो होगा उसके भुक्तभोगी सभी लोग होंगे। कोराना सिर्फ आपके लिए नहीं है। यदि इसके बारे में ज्यादा सोचेंगे तो अवसाद बढ़ेगा। खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें।


सवाल- मैं अकेले घर में रहता हूं। पहले कुछ दवाई चल रही थी, जिसे बंद कर दिया है। अब नींद नहीं आती है। - बैजनाथ गोसाईगंज, शिव शंकर नाका
जवाब- लॉकडाउन के दौरान अकेलापन बढ़ने की वजह से समस्या आ रही है। ऐसे में खुद को व्यस्त रखना सबसे उपयुक्त रहेगा। जब मन अशांत तो हो तो किसी परिचित से फोन पर बात कर लें। पहले से चलने वाली दवाई बंद नहीं करनी चाहिए थी। अपने डॉक्टर से संपर्क करके दवाओं की डोज बढ़वा लें।


सवाल- मुझे रात में नींद कम आती है। - प्रभावती गीता पल्ली, शकुंतला कृष्णा नगर
जवाब- रात में नींद नहीं आने के पीछे बड़ी वजह होती है कि दिन में सो लेना। दिन में कम से कम नींद लें। यदि दिन में दो-तीन घंटे बिस्तर पर पड़ी रहेंगी और नींद नहीं मिलेंगे तो भी नींद की साइकिल गड़बड़ा जाती है। स्लीप हाइजीन के लिए दिन में आधे घंटे से ज्यादा सोएं नहीं। सोते समय कमरे में टीवी न चलाएं, लाइट धीमी रखें और मोबाइल को या तो दूर रखें अथवा साइलेंट कर दें।


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