झारखण्ड के 13 जिलो में चलेगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ( एमडीए ) अभियान

 

 रवि मौर्या वरिष्ठ संवाददाता

 रांची, 10 अगस्त 2020। महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को जारी रखने महत्व को स्वीकार करते हुए, झारखण्ड सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 13 जिलों में 10 से एमडीए राउंड अभियान प्रारंभ किया है। इन 13 जिलों में 12 जिले ( गोड्डा, गिरिडीह, रांची, खूंटी, गुमला, हजारीबाग, गरवा, चतरा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंगभूम, देवघर, और दुमका ) में दो फाइलेरिया रोधी दवाओं, डीईसी और एल्बेंडाजोल के साथ एमडीए राउंड चलाया जाना है और सिमडेगा जिले में तीन प्रकार की फाइलेरिया रोधी दवाएं आईवरमेंक्टिन, डीईसी और एल्बेंडाजोल ( आईडीए ) के साथ एमडीए राउंड चलाया जाना है। ऐसी क्रम में, झारखण्ड़ के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कार्यक्रम का उद्धघाटन सोशल मीडिया के माध्यम से करते हुए कहा कि " झारखण्ड सरकार हर नागरिक तक स्वास्थ सेवाओं की सुनिश्चितता हेतु वचनबद्ध है। अभियान के दौरान कोविड-19 के मानकों के अनुसार प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दवा खिलाई जायेगी। "

 

इस उदघाटन समारोहमें राज्य कार्यक्रम अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजिजेज डॉ. बी. मरांडी, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन झारखण्ड डॉ. शम्भू प्रसाद, अध्यक्ष इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, डॉ. सुधीर मिश्र, विश्व स्वास्थ संघठन के राज्य एनटीडी समवन्यक डॉ. देवेन्द्र सिंह तोमर ने भी फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों से लिम्फेटिक फाईलेरियासिस से बचाव के लिए दवा खाने का अनुरोध किया। 

 

कोलेबिरा के विधायक नमन बिक्सल कोगांडी एवं सिमडेगा के विधायक भूषण बारा ने भी वीडियो के माध्यम से सन्देश दिया कि सभी लोग अगामी 10 अगस्त से प्रारम्भ होने वाले एमडीए अभियान में एमडीए दवाइयों यानि फाईलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन सुनिश्चित करें।

 

फाइलेरिया या हांथीपाव, रोग देश के 16 राज्यों और 5 केंन्द्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सम्बन्धी गम्भीर समस्या है। यह एक घातक रोग है जिनके कारण शरीर के अंगो में सूजन आती है, हालांकि इस रोग से आसानी बचा जा सकता है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फेटिक सिस्टम को नुकसान पहुचता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिफोइडिमा ( पैरों में सूजन ) और हाइड्रोसील ( अंडकोष की थैली में सूजन ) के कारण लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिसमे इनकी आजीविका व काम करने की दक्षता भी प्रभावित होती है।

 

एमडीए अभियान के अंर्तगत, फाइलेरिया रोधी दवा की एकल खुराक 10 से 20 अगस्त के दौरान ऊपर बताए गए जिलों के सभी आगनवाड़ी केंद्रों, वार्ड कार्यालयों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पहले 3 दिन खिलाई जाएगी। जो व्यक्ति , इन तिथियों में किसी कारणवश दवा खाने से वंचित रह जायेंगे, उन्हें शेष दिनों में (13 से 20 अगस्त तक )  घर- घर जाकर दवा खिलाई जाएगी। इस अभियान में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार डाईथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट ( डीईसी ) और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बिलकुल मुफ्त खिलाई जाएगी।

 

फाइलेरिया से बचाव के साथ डी एमडीए दवाइयों से कई दुसरे लाभ भी है, जैसे यह आंत के कृमि का भी इलाज करती है जिससे ख़ासकर बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है।

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