निजी अस्पताल ने पॉजिटिव आने पर मरीज की जबरन की छुट्टी


आगरा के सिकंदरा स्थित एक निजी अस्पताल द्वारा कोरोना संक्रमण के मामले में हद दर्जे की लापरवाही की गई। मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उसे जबरन डिस्चार्ज कर दिया गया। उसकी कोरोना जांच किट पर्चे पर चिपकाकर उसे थमा दी, जबकि इसकी फोटो खींचकर लगाई जानी थी। किट को नष्ट किया जाना था। सैफई अस्पताल में संक्रमित की मौत होने के बाद मामले में कार्रवाई के लिए मैनपुरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने आगरा सीएमओ को पत्र भेजा है।


मोहल्ला अग्रवाल निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति की गुरुवार को मेडिकल कॉलेज सैफई में कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। उसे बीमार होने पर उपचार के लिए आगरा के सिकंदरा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में कुछ दिन पहले भर्ती कराया गया था। यहां गुरुवार को उसकी कोरोना जांच कराई गई। 
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर अस्पताल प्रशासन ने उसे जबरन डिस्चार्ज कर दिया। आगरा से मैनपुरी आने तक मरीज और उसका परिवार किट को अपने साथ लिए घूमता रहा। इससे कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ गया। सीएमओ मैनपुरी डॉ. एके पांडेय ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगरा के सीएमओ को पत्र भेजा है, जिससे दोबारा कोई निजी अस्पताल ऐसी लापरवाही न करे।
ऑनलाइन भी फीड नहीं किया संक्रमित का डाटा
मैनपुरी सीएमओ का कहना है कि आगरा के निजी अस्पताल के चिकित्सकों और स्टाफ ने कदम-कदम पर नियमों को तोड़ा। नियमानुसार कोई भी मरीज कोरोना संक्रमित आता है तो उसका पूरा डाटा स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन फीड किया जाता है। इससे संबंधित जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जानकारी मिल जाती है, लेकिन इस मामले में अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीज की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद भी डाटा फीड नहीं किया गया। इससे मैनपुरी प्रशासन को संक्रमण की जानकारी नहीं हो सकी।


उपचार मिलता तो बच जाती जान


परिजनों के अनुसार निजी अस्पताल में कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज को जबरन डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद परिवार बृहस्पतिवार को ही मैनपुरी जिला अस्पताल पहुंचा, जहां हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज सैफई रेफर किया गया। सैफई में युवक ने दम तोड़ दिया। अगर मरीज को वहीं रखकर उपचार दिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।


सीएमओ डॉ. एके पांडेय ने बताया कि आगरा के निजी अस्पताल ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि लापरवाही भी की। कोरोना जांच किट को किसी भी हाल में मरीज को नहीं दिया जाना चाहिए था, उसे नष्ट करना अनिवार्य है। अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगरा सीएमओ को पत्र भेजा गया है।


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