बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सरकार को अब खत्म कर देना चाहिए मुकदमे


ढांचा ध्वंस पर सीबीआई कोर्ट के फैसले से पूर्व बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सरकार को अब इस मुकदमे को खत्म कर देना चाहिए। कहा कि अधिकांश आरोपी बुजुर्ग हो चुके हैं। कई बचे ही नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद मंदिर-मस्जिद का विवाद अब खत्म हो चुका है। उन्होंने मांग की है कि आरोपियों को बरी कर अब मुकदमा खत्म कर देना चाहिए।


ध्वंस के आरोपियों को मिले कड़ी सजा: हाजी
पूर्व मुस्लिम पक्षकार रहे हाजी महबूब ने कोर्ट से आरोपियों को सजा देने की मांग की है। हाजी महबूब का दावा है कि घटना के दिन आडवाणी, जोशी, उमा भारती और कटियार मौजूद थे, इसलिए सभी आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए। जिन लोगों ने मस्जिद को शहीद कराया उन्हें कैसे माफ किया जा सकता है। सारे आरोपियों के खिलाफ सबूत हैं, हजारों लोगों की मौजूदगी में मस्जिद को शहीद किया गया है। इसलिए कोर्ट से मेरा कहना है कि इन सभी को सजा होनी चाहिए।
राममंदिर के लिए फांसी भी मंजूर: संतोष दुबे
आरोपी संतोष दुबे ने कहा कि अब भव्य राममंदिर बन रहा है। कहा कि पूरा जीवन रामलला के लिए ही समर्पित रहा है। अगर ढांचा नहीं ढहाया गया होता तो आज राममंदिर निर्माण न शुरू हुआ होता। जीते जी हमें इस कार्य से मोक्ष मिल गया है। कहा कि कोर्ट जो फैसला सुनाएगा हमें सहर्ष स्वीकार होगा। राममंदिर के लिए फांसी भी मंजूर है। बताया कि कल वे सभी मां सरयू का स्नान कर व हनुमंतलला का दर्शन कर कोर्ट में पेश होंगे।


फांसी हो या उम्रकैद सब मंजूर: वेदांती
आरोपियों में शामिल डॉ.रामविलास दास वेदांती ने कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा, हमें मंजूर है। फिर चाहे कोर्ट फांसी दे या फिर उम्रकैद। 30 सितंबर को आने वाले फैसले का स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें यह कहने से कोई गुरेज नहीं है कि हम ध्वंस मामले में शामिल रहे हैं। कहा कि उस समय कारसेवकों का जो जुनून था, उसे कोई नहीं रोक सकता था। हमें फैसले का कोई डर नहीं जो भी निर्णय आएगा उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे।
 
महंत नृत्यगोपाल दास कोर्ट में नहीं हो सकेंगे हाजिर
मामले में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास भी आरोपी हैं। उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने बताया कि सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा गया है लेकिन महंत नृत्यगोपाल दास का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकेंगे। वे अयोध्या में ही रहकर फैसला सुनेंगे। उन्होंने कहा कि कल मामले में जो फैसला आने वाला है हमें विश्वास है कि हमारे पक्ष में होगा, लेकिन यदि विपक्ष में आता है तब भी कोई गम नहीं है।


ढांचा टूटने के बाद पूरी अयोध्या प्रसन्न थी: शशिकांत दास
ध्वंस के प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल महंत शशिकांत दास ने 6 दिसंबर 1992 की घटना को याद करते हुए कहा कि ढांचा टूटने के बाद पूरी अयोध्या प्रसन्न थी। छह दिसंबर को रामभक्तों का जो ज्वार था, वह देखते ही बन रहा था। पूरी अयोध्या रामभक्तों से पटी थी। जब ढांचा टूटा तो मानो पूरी रामनगरी में प्रसन्नता छा गई। हमें गर्व है कि हम सभी इस सुखद क्षण के साक्षी रहे हैं। अब विवाद खत्म हो चुका है। भव्य मंदिर बन रहा है।


अयोध्या में नया सवेरा भी हुआ: रामशरण दास
पौराणिक पीठ रंगमहल के महंत रामशरण दास कहते हैं कि वह दिन तो कभी भूल ही नहीं सकता था। हमारे मंदिर के समीप ही विवादित ढांचा था, चारों तरफ सिर्फ जय श्रीराम की गूंज ही सुनाई पड़ रही थी। तमाम अवरोधों को दरकिनार करते हुए रामभक्त ढांचे पर चढ़ते रहे और गिराते रहे। मेरा मानना कि भगवान की कृपा से ही ढांचा टूटा था। 6 दिसंबर को इस तरह की कोई योजना नहीं थी, लेकिन लाखों रामभक्तों के आक्रोश के आगे किसी की नहीं चली। भव्य राममंदिर का निर्माण अब शुरू हो चुका है। अयोध्या में नया सवेरा भी हुआ है।
कोई भांप नहीं पाया कारसेवकों के इरादे: रामदास
प्रत्यक्षदर्शी रहे नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास बताते हैं कि प्रतीकात्मक कारसेवा की योजना थी, अयोध्या के संतों को बुलाया गया था। पांच दिसंबर की शाम से अयोध्या में कारसेवकों का जुटना प्रारंभ हो गया था। तय हुआ था कि रामकथाकुंज के पास बालू व सरयू जल डालकर प्रतीकात्मक कारसेवा की जाएगी और सभी संत व रामभक्त कीर्तन करेंगे।


बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ... : नृत्यगोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि मामले में सीबीआई की विशेष अदालत का जो भी फैसला आएगा वह सहर्ष स्वीकार होगा। उन्होंने कहा कि बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ...। आज श्रीसीताराम जी की कृपा और करोड़ों रामभक्तों के अनुष्ठान पूजन से भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हो रहा है। विश्व में निवास करने वाले हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी इस समस्या के समाधान से खुश हैं। भगवान राम सभी के पूर्वज हैं। जिनकी जन्मभूमि अब मुक्त हो चुकी है और छह दिसंबर 1992 इतिहास में अंकित हो चुका है।



सलाखों के भीतर रहा तो राम काज बाहर तो राष्ट्र काज: पवैया
देश की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है । जो भी निर्णय होगा वह स्वीकार है । सलाखों के पीछे गया तो राम काज करूंगा और बाहर रहा तो राम के साथ राष्ट्र काज भी करूंगा। यह मुकदमा पूरी तरह तत्कालीन कांग्रेस सरकार का कूट रचित प्रयास था। इसलिए मैंने उस समय इस मामले में जमानत लेने का प्रयास नहीं किया था। मैं उन लोगों में से हूं जिनकी अंतिम इच्छा भगवा में लिपटकर जाने की है ।
- जयभान सिंह पवैया, पूर्व अध्यक्ष बजरंग दल और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री


आडवाणी, जोशी, कटियार, ऋतंभरा, उमा भारती सहित अन्य मौजूद थे। लेकिन कारसेवकों ने कुछ और ही तैयारी कर रखी थी, कारसेवकों के इरादे कोई भांप नहीं पाया। देखते ही देखते लाखों कारसेवक गुंबद पर चढ़ गए और तोड़फोड करने लगे। सभी नेताओं व संतों ने उन्हें रेाकने का प्रयास किया लेकिन वे किसी की सुनने को तैयार नहीं थे।


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