ऊर्जा मंत्री ने तत्काल अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने के दिए आदेश


राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं के यहां लगे स्मार्ट मीटर 30 गुना तक तेज चलते मिले, लेकिन मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि. के अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट ही दबा दी। इसका खुलासा लगभग एक साल बाद तब हुआ जब स्मार्ट मीटर के तेज चलने की जांच रिपोर्ट राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के हाथ लगी।


परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को इस घपले की जानकारी दी और दोषी अभियंताओं व मीटर निर्माता कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। ऊर्जा मंत्री ने तत्काल अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं, दोषी अभियंताओं और मीटर निर्माता कंपनी पर कार्रवाई करके 15 दिन में रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर राजधानी में दो बार स्मार्ट मीटर तेज चलने की जांच कराई गई। इसमें मीटर कई गुना तेज चलते मिले। मगर उच्चाधिकारियों ने इस मामले को दबाकर उन उपभोक्ताओं के मीटर बदल दिए। लगभग साल भर बाद जांच की यह रिपोर्ट उपभोक्ता परिषद के हाथ लग गई।
 
स्मार्ट मीटर लगने के साथ ही तेज चलने की होने लगी थीं शिकायतें
प्रदेश में अक्तूबर 2018 से स्मार्ट मीटर लगने शुरू हुए थे। राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज, अपट्रॉन व कुछ अन्य उपकेंद्रों में यह काम शुरू होने के साथ ही स्मार्ट मीटर के तेज चलने की शिकायतें भी आने लगीं। इस पर उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में इस मामले को उठाते हुए जांच कराने का अनुरोध किया था। इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि. ने वर्ष 2019 में स्मार्ट मीटर वाले किसी दो उपभोक्ताओं के परिसर में चेक मीटर लगाकर परीक्षण करने का आदेश दिया।


इसी दौरान मध्यांचल निगम के निर्देश पर लेसा के अपट्रॉन और ठाकुरगंज उपकेंद्र के पांच उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर के समानांतर चेक मीटर लगवाकर जांच कराई गई। तब पता चला कि ठाकुरगंज क्षेत्र में तीन उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर कई सौ गुना तेज चल रहे थे। पहली बार 24 दिन के लिए जब उपभोक्ता हसीन खां के घर में चेक मीटर लगा तो उनके स्मार्ट मीटर में 550 यूनिट रीडिंग आई जबकि उसी दौरान चेक मीटर में महज 67 यूनिट रीडिंग था। यानी 483 यूनिट ज्यादा। ऐसे ही उपभोक्ता तारावती के स्मार्ट मीटर में 868 यूनिट रीडिंग आई, जबकि चेक मीटर में सिर्फ 29 यूनिट रीडिंग मिला।


एक अन्य उपभोक्ता लाल बहादुर सिंह के स्मार्ट मीटर में 877 यूनिट रीडिंग आई और वहां लगे चेक मीटर में महज 59 यूनिट। मगर इस हकीकत को छिपाने के लिए इन्हीं उपभोक्ताओं के घर पर दोबारा 4 से 5 दिन के लिए चेक मीटर लगाया गया। इस दौरान हसीन खां के यहां 224 यूनिट, तारावती के यहां 419 यूनिट और लाल बहादुर सिंह के यहां 146 यूनिट ज्यादा रीडिंग आई। इसके बावजूद अभियंताओं ने इस मामले को दबा दिया और उपभोक्ताओं के मीटर बदलवा दिए। एक खास बात और इन सभी उपभोक्ताओं का भार भी गुना अधिक पाया गया। मगर गड़बड़ी के साफ दिखने के बावजूद अधिकारी मीटर कंपनी पर कार्रवाई करने के बजाय उनकी पैरवी में ही लगे रहे।


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