रांची , 30 जनवरी 2021: आज पूरे भारत में विश्व एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़ेज़) दिवस मनाया जा रहा है। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव), विसेरल लीशमैनियासिस (कालाज़ार), लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज़ जैसे रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है; मगर फिर भी इन रोगों के कारण भारत के हज़ारों लोगों की हर साल या तो मृत्यु हो जाती हैं या फिर विकलांग हो जाते हैं।
भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी रोडमैप (2021-2030) के अनुसार एनटीडी से मुकाबले के लिए अब पूरी तरह से तैयार है, तो ऐसे में झारखण्ड ने पुनः अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की है कि वह सुनिश्चित करेगा कि एनटीडी उन्मूलन के भारत के लक्ष्य पूरे हों। एनटीडी की चुनौती से निपटने के लिए राज्य के संकल्प के बारे में राज्य के वेक्टर बोर्न डिज़ीज़ेज़ अधिकारी डॉ. एस.एन.झा ने कहा, ’’हम प्रतिबद्ध हैं कि भारत वर्ष 2030 से पहले एनटीडी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर ले।
राज्य में, एनटीडी की रोकथाम और नियंत्रण को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिकता दी जा रही है। इन रोगों में हाथीपांव, कालाज़ार, कुष्ठरोग, रेबीज़, मिट्टी संचारित कृमिरोग व डेंगू शामिल हैं। इन नियंत्रण कार्यक्रमों को वैश्विक रणनीतियों पर चलाया जाता है और इनके लिए एक तय सालाना बजट भी रहता है। भारत में कालाज़ार और हाथीपांव के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत ने कालाज़ार के 97 प्रतिशत स्थानिक प्रखंडों में इस बीमारी को काफी कम कर दिया है। इन प्रखंडों में हर 10,000 की आबादी पर कालाज़ार के एक से भी कम मामले हो चुके |
हाथीपांव रोग से ग्रस्त देश के 272 जिलों में से 98 जिलों में रोग संचरण को रोक दिया गया है और मास ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन भी सफल परिणामों के बाद बंद कर दिया गया है। तीव्र भौगोलिक फैलाव की वजह से डेंगू चुनौती बना हुआ है लेकिन 2008 के बाद से भारत ने इस से होने वाली मौतों की दर को 1 प्रतिशत से कम पर रखा हुआ है। एनटीडी समेत सभी बीमारियों के लिए जनस्वास्थ्य प्रणाली द्वारा सेवाएं दी जाती हैं। हाथीपांव, कालाज़ार, मिट्टी से संचारित कृमिरोग एवं कुष्ठरोग के लिए प्लेटफॉर्म बनाए जा रहे हैं ताकि जहां भी संभव हो मामलों का पता लगाने, वेक्टर कंट्रोल, मास ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन आदि प्रयासों का समन्वय किया जा सके। वेक्टर कंट्रोल के लिए विभिन्न क्षेत्रों के बीच समन्वय मजबूत करने से डेंगू, हाथीपांव और कालाज़ार के मामलों में लाभ हुआ है |
झारखण्ड में 22 जिलों में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) और कालाजार से प्रभावित 4 जिले, एनटीडी जनस्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं। किंतु, राज्य इन रोगों के खिलाफ ठोस कदम उठा रहा है। कोविड-19 की वजह से संसाधन और ध्यान एनटीडी आदि अहम मुद्दों से हट कर कोविड-19 की तरफ चले गए; परंतु राज्य ने शीघ्रता से एनटीडी संबंधी गतिविधियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन, एवं अन्य ग़ैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्यक्रम किया जाता रहा है | एनटीडी के खिलाफ राज्य के प्रयासों के बारे में डॉ. झा ने कहा, कालाजार कीटनाशक छिड़काव के साथ ही सभी सम्बंधित घरों में स्टीकर, सार्वजानिक स्थानों में पोस्टर लगाकर, लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है |
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन निर्धारित है | राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस एवं सघन खोज अभियान संचालित किये जा रहें हैं | हमें विश्वास है कि हमारी कोशिशें भारत में एनटीडी मुक्त पीढ़ी के निर्माण हेतु मार्ग प्रशस्त करेंगी |
वर्ष 2021 में झारखण्ड को कालाजार से मुक्त करने हेतु , राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रतिबद्धता के साथ सभी विभागों के सहयोग से अभियान के रूप में कार्य चल रहा है | इसी प्रकार कुष्ठ रोग के नियंत्रण हेतु भी प्रयास किया जा रहा है | हमें आशा है कि सभी हितकारकों के सहयोग से हम झारखण्ड को एनटीडी से शीघ्र और अवश्य मुक्त कर पायेंगे